गोविन्द पटेल, कुशीनगर. गन्ना बहुल इलाका होने के कारण कुशीनगर जिले में चीनी मिल की संख्या चार है. इन दिनों किसानों की सुविधाओं को देखते हुए उनका संचालन भी शुरू करा दिया गया है. लेकिन मिलों के संचालन के बाद जिम्मेदारों की मनमानी से संचालित मानकों से बड़े ट्रालों का उपयोग आम लोगों की ज़िंदगी को खतरे में डाल रही हैं. उसी के साथ कृषि कार्यों के लिए रजिस्टर्ड ट्रैक्टरों के काटों से मिल तक गन्ना ढुलाई कराने से सरकार को भी टैक्स का चुना लगा रही है. आरटीओ ने अब मानकों को दरकिनार करने वाले करने वाले ट्रालों के संचालन पर पूर्णतः रोक गलाने की बात कही है. चीनी मिल द्वारा मामले को दरकिनार करने पर सख्त कार्यवाही की बात कही है.

चीनी मिलों के द्वारा किसानों को सुविधाएं देने के लिए इस बार चीनी मिलों का संचालन पहले ही कर दिया गया है. तो वहीं दूर दराज के इलाकों में किसानों को परेशान ना होना पड़े इसके लिए काटा लगवाया जाता है, लेकिन जैसे ही चीनी मिलों का संचालन शुरू होता है किसान ट्रैक्टर ट्राली से गन्ना मिल से संचालित काटों या चीनी मिलों में ले जाते हैं. ट्रालियों के पीछे कोई रिफ्लेक्शन या बैकलाइट नहीं होने से कई बार कोहरे में आने वाली गाड़ियां उन्हें देख नहीं पाती. जिससे दुर्घटना बढ़ती है. हालांकि यह नियम में है कि ट्रालियों के पीछे रिफ्लेक्टर लगाए जाए ताकि वह पीछे से आई हुई गाड़ी देखकर निकल सके. लेकिन किसानों की गाडियो पर कोई रिफ्लेक्टर नही होता. यातायात विभाग आंखें मूंदे रहता है.

यातायात विभाग के लापरवाही और मिल प्रबंधन की मनमानी इतने पर ही खत्म नहीं होती. कांटों से मिलों तक लाने के लिए मिल प्रबंधन अपनी व्यवस्था करता है. जिसका नियम है कि ट्रैकों से उसकी धुलाई हो क्योंकि ट्रैकों में जरूरी लाइट और मानक तय होता है. जिससे लोगों को अंदाजा मिल जाता. पर कुशीनगर जिले में मिल प्रबंधन ट्रैकों का प्रयोग कोरमपूर्ती बस करता, क्योंकि उसके लिए सरकार को टैक्स आदि मिलाकर महंगी पेमेंट देनी पड़ती है. पैसा बचाने के लिए मिल प्रबंधन के द्वारा गन्ना ढोने में दूनी या तीन गुने आकर के अवैध ट्रालो का निर्माण कराया जाता है. उन्हें खींचने के लिए ट्रैक्टर का प्रयोग होता. जो ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए रजिस्टर्ड है. पर कमर्शियल कामों में कुशीनगर जिले में इसका अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है. जिससे सरकार को मिलने वाले टैक्स की चोरी होती वही दूसरी ओर ट्रैक्टर से जुड़े इन ट्रालों को कई बार ओवरटेक करने में गलत अंदाज लगता हैं. बीते कुछ वर्षों से अबतक इन ट्रालों के कारण हुई दुर्घटनाओ में 50 से भी ज्यादा लोग अपनी या तो जान गवा चुके या अपंग हुए हैं. लेकीन यातायात विभाग अवैध ट्रालों के आकार और ढुलाई पर कृषि और किसानों का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ देता हैं. जबकि किसानों का काटा से मिलों तक लाने का जिम्मा ही नहीं होता. यह कार्य पूरी तरह कमर्शियल हैं. अब ट्रालों का उपयोग ढुलाई के लिए अधिकतर उपयोग हो रहा है.

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इस मामले पर त्रिवेणी ग्रुप रामकोला चिनीमिल के केन मैंनेजर सतीश बाल्यान ने कहा कि रामकोला चिनीमिल ने किसानों के सुविधा के लिए 42 तौलकाटे की व्यवस्था की गई है. उसके लिए एक सेंटर पर तीन-तीन ट्रालों और लोडर की सुविधा की गई है. हमने कोशिश की है कि ट्रकों की व्यवस्था 100% हो, लेकिन नहीं हो पाया. अगले साल से हम सभी ट्रालों को रिप्लेस कर ट्रक चलवाएंगे. वहीं दूसरी तरफ ढांढा चिनीमिल में मानकों को दरकिनार कर बनाए गए ट्रालों को पूर्णतः बन्द करने की बात कही है.

पूरे मामले पर एआरटीओ कुशीनगर अजीम खान ने कहा कि विभाग ने सभी मानकों के विपरीत बने ट्रालों से ढूलाई न करने का निर्देश सभी चीनीमिल को दिया गया है. साथ ही किसानों की ट्रालियों पर भी रिफ्लेक्टर लगाने के निर्देश दिए गया है. अभियान चलाकर भी इसपर कार्य हो रहा है. अगर कही भी मानकों को दरकिनार करके ट्रालों का प्रयोग होगा तो उसपर सख्त कार्यवाही होगी.

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