शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने और सरकार बनने पर कमलनाथ मुख्यमंत्री होंगे। पीसीसी चीफ कमलनाथ के नाम पर कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए लगभग सहमति बन गई है। कमलनाथ के मुख्यमंत्री की शपथ के बाद उनके मंत्रिमंडल में ये चेहरे शामिल हो सकते हैं। मंत्रिमंडल में पुराने और अनुभवी नेताओं के अलावा युवाओं को भी मौका मिलेगा। मंत्रिमंडल संतुलित होगा और सभी का ध्यान रखा जाएगा। नेताओं को उनके अनुभव और कद के हिसाब से विभाग भी दिए जाएंगे।
मंत्रिमंडल में सबसे पहला नाम वर्तमान में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का होगा। वे कांग्रेस के सबसे सीनियर नेताओं में से एक है। सिंधिया के जाने के बाद ग्वालियर-चंबल के बड़े नेता और ठाकुर समाज में गोविंद सिंह का अच्छा प्रभाव है। लहार विधानसभा से 7 बार से लगातार विधायक और 8वीं बार फिर मैदान में है।
अजय सिंह- विंध्य संभाग के कांग्रेस के बड़े नेता, दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे अजय सिंह पिछला चुनाव हारने के कारण मंत्री नहीं बन पाए थे। विंध्य में कांग्रेस के क्षत्रिय समाज के सर्वमान्य नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे और चुरहट से लगातार 6 बार विधायक रहे है।
मुकेश नायक- बुंदलेखंड में कांग्रेस का बड़ा ब्राहम्ण चेहरा। दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे मुकेश नायक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और दिल्ली दरबार में अच्छी पकड़ है। पिछला चुनाव हार गए थे।
लाखन सिंह यादव- ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस का बड़ा ओबीसी चेहरा और जमीनी नेताओं में गिने जाते है। विपरीत परिस्थितियों में लगातार चुनाव जीतकर लाखन सिंह यादव आए है।
सचिन यादव- निमाड़ संभाग के कांग्रेस के दिग्गज नेता सुभाष यादव के बेटे और पिता की विरासत को सचिन यादव ने बखूबी संभाला है। निमाड़ में कांग्रेस की सियासत में सचिन यादव और अरुण यादव का अच्छा दखल है। कमलनाथ सरकार में कृषि मंत्री रहे थे।
तरुण भनोट- कमलनाथ के करीबियों में से एक पिछली सरकार में वित्त विभाग की जिम्मेदारी मिली थी। जबलपुर और आसपास के जिले में कार्यकर्ताओं की अच्छी फौज है। जबलपुर सांसद राकेश सिंह से तरुण भनोट का मुकाबला है।
बाला बच्चन- कांग्रेस के निमाड़ के आदिवासी चेहरा और कमलनाथ के गुड बुक से आते है। कमलनाथ सरकार में गृह विभाग की जिम्मेदारी मिली थी।
उमंग सिंघार- आदिवासियों के उभरते लीडर और आदिवासियों वोटर्स पर अच्छी पकड़- सीधे दिल्ली दरबार से जुड़े है।
हनी बघेल- दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक और धार के आदिवासियों में अच्छी पकड़ है। कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके है।
जयवर्धन सिंह- पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे और युवाओं में अच्छी पकड़ है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद एकमात्र ग्वालियर-चंबल के युवा लीडर का क्रेज है। कमलनाथ सरकार में नगरीय प्रशासन जैसे बड़े विभाग की अहम जिम्मेदारी मिली थी।
प्रियवर्त सिंह- दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार और कमलनाथ से अच्छे रिश्ते है। खिलचीपुर सीट से विपरीत परिस्थितियों में भी चुनाव जीते थे।
सज्जन सिंह वर्मा- कांग्रेस में दलित वर्ग के बड़े नेता और कमलनाथ के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते है।
विजयलक्ष्मी साधौ- निमाड़ में कांग्रेस दलित वर्ग का एक मात्र लीडर और महिला कोट से मंत्री बनाया जा सकता है।
ओमकार सिंह मरकाम- महाकौशल के आदिवासियों के बड़े नेता और सीधे राहुल गांधी से जुड़े हुए है। एमपी के एक मात्र नेता जो कांग्रेस चुनाव समिति के सदस्य भी है।
राजेन्द्र सिंह- विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष के कमलनाथ की करीबी और विंध्य संभाग में उनके विश्वसनीय नेताओं में सबसे ऊपर है। कमलनाथ ने वचन पत्र बनाने की जिम्मेदारी राजेन्द्र सिंह को ही दी थी। पिछला चुनाव कम अंतर से हार गए थे।
कमलेश्वर पटेल- विंध्य में कांग्रेस के बड़े ओबीसी लीडर, दिल्ली के नेताओं से सीधा संपर्क और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य है।
दिलीप गुर्जर- गुर्जर समाज में अच्छा प्रभाव और लगातार चुनाव जीतने के चलते मंत्री बनने के प्रबल संभावना। उज्जैन से पिछली बार भी कमलनाथ सरकार में किसी को मौका नहीं मिला था। इस बार मंत्री पद मिल सकता है।
आरिफ मसूद- मुस्लिम कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है। मुस्लिम समाज में अच्छी लोकप्रियता है।
रामनिवास रावत- सिंधिया के कट्टर समर्थक रहे लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी, ग्वालियर-चंबल के कांग्रेस के बड़े नेताओं में एक है।पिछला चुनाव हार गए थे।
केपी सिंह- दिग्विजय सिंह के करीबी नेताओं में से और कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था लेकिन इस बार प्रबल संभावना है। केपी सिंह पिछौर छोड़ पहली बार शिवपुरी से चुनाव लड़ रहे हैं।
जीतू पटवारी- कांग्रेस के उभरते युवा लीडर, खाती समाज में काफी प्रभाव और एमपी में राहुल गांधी के करीबी नेताओं में शामिल है।
लखन घनघोरिया- कमलनाथ के करीबी नेताओं में गिने जाते और दलित वर्ग से आते हैं। महाकौशल संभाग में दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के चलते मौका मिल सकता है।
इस बार कमलनाथ के मंत्रिमंडल में सीनियर और जूनियर दोनों का मिश्रण देखने को मिलेगा। पिछली बार कमलनाथ कैबिनेट में युवाओं को ज्यादा मौका मिला था उसकी एक वजह ये भी थी कि कांग्रेस के कई सीनियर लीडर चुनाव हार गए थे। वो सभी एक बार फिर चुनाव लड़ रहे है और उनकी स्थिति इस बार मजबूत बताई जा रही है।
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