अजय नीमा, उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में कार्तिक माह की बैकुंठ चतुर्दशी की अर्ध रात्रि को अद्भुत नजारा देखने को मिला। जहां भगवान भोलेनाथ अपनी सवारी के साथ गोपाल मंदिर पहुंचे और परंपरा अनुसार भगवान श्री कृष्ण को पृथ्वी का भार सौंप कर कैलाश पर्वत चले गए। भगवान श्री कृष्ण और भगवान भोलेनाथ के इस मिलन को हरि हर मिलन के रूप में मनाया गया।

हरि हर मिलन के नाम पर उज्जैन (Ujjain) में हजारों वर्षों से चली आ रही यह परंपरा अदभुत है। जहां हरी से आशय श्री कृष्ण और हर से आशय महादेव से है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर पृथ्वी का समग्र भार बैकुंठ के वासी श्री कृष्ण को सौंप कर चार माह के लिए कैलाश पर्वत चले जाते है। इस परंपरा के बाद से ही समग्र मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है। रात्रि 2 बजे भगवान भोलेनाथ और श्री कृष्ण के मिलन का नजारा देखते ही बन रहा था।

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हरि हर मिलन के इस अवसर पर देर रात महाकाल राजा पालकी में सवार होकर अपने लाव-लश्कर के साथ विभिन्न मार्गों से होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचे। इस दौरान भक्तों ने जोरदार आतिशबाजी की और भक्ति में झूमते गाते नजर आये। इस अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए देर रात तक भक्तों की भारी भीड़ जमा रही।

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