लुधियाना। इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलपमेंट (आईडीपीडी) गाजा में अल शिफा अस्पताल के निदेशक की गिरफ्तारी की निंदा करता है. अब यह सर्वविदित है कि इजरायली रक्षा बल 7 अक्टूबर से गाजा पर अंधाधुंध बमबारी कर रहे हैं. इससे लगभग 15,000 लोगों की मौत हो गई, जिसमें लगभग 6000 बच्चे शामिल हैं. इतना ही नहीं स्वास्थ्य सुविधाओं और अस्पतालों पर भी बमबारी की गई. Read More –Panjab Crime: रिटायर्ड फौजी ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या, सामने आई ये बड़ी वजह

आईडीपीडी के अध्यक्ष डॉ. अरुण मित्रा और महासचिव डॉ. शकील उर रहमान ने एक बयान में कहा कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी पानी की आपूर्ति, भोजन आपूर्ति, बिजली और दवाओं की भारी कमी के कारण बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. इजरायली आक्रमण के पीड़ितों को जीवन सहायता प्रदान करने के लिए अल शिफा अस्पताल के निदेशक की भूमिका सराहनीय रही है, जिन्होंने ऐसी कठिन परिस्थितियों में स्वास्थ्य देखभाल को व्यवस्थित करने का प्रयास किया है.

बात दें कि 13 नवंबर तक 226 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो चुकी है. इनमें 26 चिकित्सक, 16 दंत चिकित्सक, 11 दंत चिकित्सा छात्र और मेडिकल छात्र, 3 चिकित्सा वैज्ञानिक, 64 नर्से, 20 पैरामेडिक्स 7 फिजियोथेरेपिस्ट, 22 फार्मासिस्ट, 13 लैब तकनीशियन और क्लिनिकल माइक्रोबायो लॉजिस्ट और एक ऑप्टोमेट्रिस्ट शामिल है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ इजरायली डॉक्टरों ने अस्पतालों पर बमबारी का समर्थन किया है जो कि बुनियादी चिकित्सा नैतिकता, रोगियों के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों और रूपों के खिलाफ है. यह नाजी काल की याद दिलाता है, जब कुछ डॉक्टर नाजियों के अपराधों के पक्ष में थे.