चंडीगढ़. कई सालों से पी.जी.आई. स्किन बैंक शुरू करने की योजना बना रहा है। ऐसे में अग्निकांड पीड़ित मरीजों के लिए बड़ी खबर है। पी.जी.आई. को अब स्किन बैंक बनाने के लिए मंजूरी मिल गई है।

रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के हैड डॉ आशीष शर्मा के मुताबिक पी.जी.आई. को स्किन बैंकिंग के लिए लाइसैंस मिल गया है, जो अग्निकांड पीड़ित मरीजों की मदद करेगा। गवर्नमैंट ऑफ इंडिया की ओर से इसे मंजूरी मिली है।

कई सालों से बेहद रेयर तरह की सर्जरी कर मरीजों को नई जिंदगी देना वाला पी.जी.आई. का प्लाटिक सर्जरी डिपार्टमैंट जल्द हॉस्पिटल में स्किन बैंक खोल सकेगा। हर महीने पी.जी.आई. में 20 से 25 बर्न केस रजिस्टर किए जाते हैं। कई बार केस इतने गंभीर होते हैं कि शरीर में किसी जगह स्किन नहीं बची होती कि जले हुए हिस्से पर लगाई जा सके। ऐसे में यह स्किन बैंक उन मरीजों के लिए बहुत ज्यादा फायदा देगा। कई साल पहले पी.जी.आई. प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमैंट के प्रोफैसर प्रमोद कुमार स्पेन से इसकी खास ट्रेनिंग भी लेकर आए थे। कई सालों से पी.जी.आई. स्किन बैंक को खोलने को लेकर काम कर रहा है। यह अपनी तरह का पहली ऐसी सुविधा है, जो पी.जी.आई. में शुरू होगी।

डैड बॉडी या ब्रेन डैड मरीजों से लेंगे स्किन


सुनने में बेशक थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन कई देशों में ऐसा होता है। अभी तक कानूनी तौर पर दूसरे मरीज की स्किन निकाल कर स्टोर नहीं सकते थे और न ही दूसरे मरीज को लगा सकते थे। ऐसे में ब्रेन डैड या डैड बॉडी से स्किन निकालकर बैंक में स्टोर किया जा सकेगा। एक बार स्किन लेने के बाद स्क्रीनिंग कर जांचा जाएगा कि किसी तरह का कोई इंफैक्शन तो स्किन पर नहीं है। स्किन को बाकायदा डिसइंफैक्ट किया जायगा, ताकि किसी तरह का इंफैक्शन मरीज को न हो। इसके बाद स्टोर कर रख लिया जाएगा। काफी लंबे वक्त तक कम तापमान में स्किन को स्टोर कर रखा जा सकता है।