उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल धंसने से 41 मजदूर वहां पर दो हफ्ते से फंसे हैं.

दुनिया का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन चुकी यह आपदा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रही.

हादसे के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि देश में बन रही सभी 29 टनल का सेफ्टी रिव्यू कराया जाएगा.

60 साल पहले इस जगह पर टनल बनाने का सर्वे किया गया था, लेकिन पानी का स्रोत मिलने के कारण इसका काम आगे नहीं बढ़ पाया था.

उसके बाद यमुनोत्री के लिए रास्ता बनाया गया था.

लेकिन सबसे जरूरी सवाल अब भी अपनी जगह पर है कि सिलक्यारा टनल क्यों धंसी?

पहली बात इस इलाके से फॉल्ट लाइन का गुजरना.

दूसरा टनल के ऊपर पहाड़ पर गंगा यमुना का कैचमेट एरिया होना.

उत्तराखंड के पहाड़ छोटे-छोटे पत्थरों से, मिट्टी से जुड़कर बने हैं. यहां के पहाड़ इतने मजबूत नहीं हैं.

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है

ऐसा ही कुछ तपोवन प्रोजेक्ट में 2009 में हुआ था, लेकिन फिर भी इस प्रकार का हादसा होना अपने आप में सवाल खड़े करता है.

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