अदालती कार्रवाई में तेजी लाने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने फास्टर 2.0 (FASTER 2.0) पोर्टल लॉन्च किया है. नया पोर्टल कैदियों की रिहाई के संबंध में अदालती आदेशों की जानकारी तुरंत जेल प्राधिकरण, ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को भेज देगा. इससे कैदियों को रिहा करने में समय की बचत होगी. मौजूदा व्यवस्था के तहत जेल से रिहा होने में काफी समय लगता है. नए पोर्टल के लॉन्च होने के बाद इस मामले में तेजी आएगी और कैदियों की तत्काल रिहाई संभव हो सकेगी.

कल संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने FASTER 2.0 पोर्टल लॉन्च किया. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम एक पोर्टल लॉन्च कर रहे हैं जहां किसी व्यक्ति की रिहाई के न्यायिक आदेश को तत्काल कार्यान्वयन के लिए जेलों, ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित किया जाता है. आपको बता दें कि न्यायिक प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी पर काफी जोर दिया जा रहा है.

‘अदालतों में ‘ई-सेवा केंद्र’ शुरू होने से तेज होगी न्‍याय‍िक प्रक्रिया’

प्रौद्योगिकी और न्यायपालिका की तरफ से इसके उपयोग के बारे में बात करते हुए, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘ई-सेवा केंद्र’ शुरू करने की बात कही ताकि कोई भी नागरिक न्यायिक प्रक्रिया में पीछे न रह जाए.

उन्होंने कहा, “टैक्‍नॉलोजी नागरिकों को दूर करने के लिए नहीं है बल्कि हमें नागरिकों के जीवन में ले जाने के लिए है. हम अपने नागरिकों को एक साझा राष्ट्रीय प्रयास में सह-समान भागीदार के रूप में अपनाते हैं.”

सीजेआई ने कहा कि पिछले साल संविधान दिवस पर राष्ट्रपति ने जेलों में भीड़भाड़ और हाशिए की पृष्ठभूमि के नागरिकों को कैद करने पर चिंता जताई थी.

उन्होंने कहा, “…मैं आपको (राष्ट्रपति) आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं कि कानूनी प्रक्रियाएं आसान और सरल हो जाएं ताकि नागरिक अनावश्यक रूप से जेलों में न रहें.”

‘इस स‍िस्‍टम से समय पर हो सकेगी र‍िइाई’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (फास्टर) एप्लिकेशन का वर्जन 2.0 रविवार को लॉन्च किया गया और यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति की रिहाई का न्यायिक आदेश तुरंत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जेल अधिकारियों, जिला अदालतों और हाई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि व्यक्ति को समय पर रिहाई हो सके.

‘संविधान दिवस का जश्न स्वतंत्र राष्ट्र के सामाजिक जीवन का प्रतीक’

सीजेआई ने कहा कि देश पहले से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाता है, फिर अलग संविधान दिवस क्यों? सीजेआई ने कहा, “संविधान दिवस का जश्न एक स्वतंत्र राष्ट्र के सामाजिक जीवन का प्रतीक है.”