16वीं पंजाब विधानसभा का पांचवां सत्र मंगलवार 28 नवंबर को दोपहर 2 बजे से शुरू होगा। दो दिवसीय इस सत्र में राज्य सरकार तीन वित्त विधेयकों समेत हाल ही में कैबिनेट बैठक में पारित किए प्रस्तावों को मंजूरी देगी। मंगलवार दोपहर 2 बजे दिवंगतों को श्रद्धांजलि के साथ सत्र आरंभ होगा, जिसके बाद सदन में विधायी कामकाज निपटाया जाएगा।

अगले दिन बुधवार को सुबह 10 बजे सत्र की शुरुआत होगी और स्पीकर द्वारा इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने तक सत्र चलेगा। मंगलवार सुबह विधानसभा परिसर में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस दो दिवसीय सत्र के कामकाज का एजेंडा तय होगा। कमेटी की बैठक के दौरान ही विधानसभा स्पीकर द्वारा प्रश्नकाल संबंधी नियम पर भी फैसला सुनाया जाएगा, क्योंकि इस बार सदस्यों को प्रश्नकाल के लिए अपने प्रश्न भेजने का अवसर नहीं मिल सका है और उन्होंने इसके लिए स्पीकर से नियम में ढील देने की मांग की थी।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को संकेत दिए कि सरकार विधानसभा सत्र में अनेक लोकहित के बिल पारित करने का जा रही है। हालांकि उन्होंने इन बिलों का खुलासा नहीं किया। माना जा रहा है कि महिलाओं को 1000 रुपये महीना और गन्ना किसानों के लिए नए दाम पर सदन में मुख्यमंत्री कोई बयान दे सकते हैं।


तीन वित्त विधेयकों पर लगेगी मुहर


सत्र के दौरान पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और इंडियन स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 को पेश किया जाएगा। राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने केवल दो दिन का सत्र बुलाने पर कड़ा एतराज जताया और सरकार को सदन में घेरने की तैयारी भी कर ली है।

विपक्ष ने स्पीकर को पत्र लिखकर विधानसभा सत्र की अवधि 10 दिन करने की मांग की। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने 10 मुद्दों पर चर्चा करने की मांग की। बाजवा ने कानून-व्यवस्था, किसानों से जुड़े मुद्दे, नशा तस्करी, प्रदेश पर बढ़ता कर्ज, सरकारी खजाने की फिजूलखर्ची जैसे विभिन्न मुद्दों को सदन में उठाने के संकेत दिए हैं। हालांकि सत्र की अवधि को देखते हुए इस बार विपक्ष को अपनी बात कहने का ज्यादा समय मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है।

तीन दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने सभी आप विधायकों को चाय पर बुलाकर इस विधानसभा सत्र की रणनीति पर चर्चा कर ली है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने अपने विधायकों को सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए विपक्ष के सवालों का जवाब देने की ताकीद की है लेकिन बीते सत्रों के दौरान देखी गई तीखी नोंकझोक पर रोक लगाना स्पीकर के लिए इस बार भी चुनौतीपूर्ण होगा।