एक श्रवण कुमार त्रेता में हुए जिन्होंने अपने-माता पिता को चारों धाम की यात्रा कराई थी. एक श्रवण कुमार इस कलयुग में छत्तीसगढ़ में हुए हैं, जो राज्य में हजारों बुजुर्ग माता-पिता को तीर्थ यात्रा करा रहे हैं. इस यात्रा के बाद से अब चांउर वाले बाबा रमन सिंह श्रवण कुमार भी कहे जाने लगे हैं, क्योंकि आज के इस श्रवण ने प्रदेश के हर बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराने की जो ठानी है. 

16 अक्टूबर 2012….यही वह दिन था, जब सूबे के मुखिया डा.रमन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा फैसला हुआ. ये फैसला था, राज्य के बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने की योजना पर मुहर लगाने का. यही वह दिन था, जब सरकार ने प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थ पर भेजे जाने के लिए रेलवे के साथ एमओयू करने के साथ यात्रा को लेकर नियम कायदे बनाए थे. यही वह दिन था, जब प्रदेश के गांव-गांव के उन बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान ला दी थी, जो चाहकर भी तीर्थ यात्रा पर नहीं जा पाते थे. अब हालात बदल गए हैं. तीर्थ दर्शन योजना के तहत प्रदेश भर के बीपीएल और एपीएल परिवार के उन बुजुर्गों को यात्रा का लाभ मिल रहा है, जिसकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, बुजुर्ग के साथ एक सहायक ले जाने की व्यवस्था की गई. तीर्थ दर्शन योजना में 75 प्रतिशत ग्रामीण और 25 प्रतिशत शहरी बुजुर्गों को यात्रा का लाभ दिया जा रहा है. यात्रा के लिए नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों के जरिए चयन की प्रक्रिया की जाती है. एक कोशिश ही थी कि बुजुर्गों को उनका वास्तविक हक दिया जा सके. उन्हें उनका सम्मान दिया जा सके. एक कोशिश कितना बड़ा नतीजा लेकर आ सकती है. इसकी ही एक बानगी का नाम है मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना. ईश्वरीय साक्षात्कार कराती ये अनूठी योजना ही थी, जिसने प्रदेश के बुजुर्गों का आर्शीवाद दिया है रमन सरकार को….

भारतीय संस्कृति में तीर्थ यात्रा का महत्वपूर्ण स्थान है. तीर्थ यात्रा एक आध्यात्मिक, ईश्वरीय और पवित्र अनुभूति है. तीर्थ यात्रा की परम्परा प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति को संगठित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी तीर्थ यात्रा की महत्ता का वर्णन मिलता है. तीर्थ यात्रा को पुण्य कर्म भी माना जाता है. भारत में हर व्यक्ति अपने जीवन काल में कम से कम एक बार तीर्थ यात्रा जाने की चाहत रखता है. लेकिन कई बार आर्थिक कमजोरी की वजह से तीर्थ यात्रा नहीं कर पाता. इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने गरीब बुज़ुर्गों का श्रवण कुमार बनकर मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के माध्यम से 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुज़ुर्गों को निःशुल्क तीर्थ यात्रा कराने का फैसला लिया. छत्तीसगढ़ के बुज़ुर्गों को तीर्थ की सुखद अनुभूति देने के लिए प्रदेश सरकार ने शासकीय खर्च पर वरिष्ठ नागरिकों को देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने के लिए 15 जनवरी 2013 से प्रदेश की महत्वकांक्षी छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की शुरूआत हुई थी. प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा शुरू की गयी सामूहिक तीर्थ यात्रा की ये योजना बुज़ुर्गों के आदर और सम्मान की हमारी भारतीय परम्परा के अनुरूप है. प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह एक साथ प्रदेश के हज़ारों गरीब बुज़ुर्गों को तीर्थ यात्रा पर भेजकर खुद भी बेहद खुश है. मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह कहते हैं कि-

जिस परिवार में बुज़ुर्गों का सम्मान होता है उसी परिवार में बरकत होती है. छत्तीसगढ़ में भी बुज़ुर्गों के सम्मान की एक शालीन परम्परा है और उसी परम्परा के अनुरूप बुज़ुर्गों के दिलों की इच्छा का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की शुरूआत कर तीर्थ यात्रा पर भेज रही है. ताकि उनके आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ की तरक्की हो और बुज़ुर्गों के माध्यम से ईश्वर का आशीर्वाद भी छत्तीसगढ़ को मिले.

रमन सरकार की इस योजना की खुले दिल से तारीफ करनी चाहिए. क्योंकि कोई ना कोई तीर्थ तो लोग जैसे-तैसे अपने जीवन में कर ही लेते हैं, लेकिन जिस ईमानदारी से रमन सरकार ने बुजुर्गों के प्रति अपनी संवेदनशीलता और आत्मयीयता दिखाई है, वह प्रशंसनीय है. मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि यह एक बुजुर्गों के आत्म सम्मान, कल्याण का बेटे के तरफ से निभाई गई महती जिम्मेदारी भी है. तीर्थ दर्शन की इच्छा हर व्यक्ति के मन होती है लेकिन आर्थिक मजबूरियों के कारण कई लोग तीर्थ के लाभ से वंचित रह जाते हैं और प्रदेश सरकार के मुखिया डॉ रमन सिंह ने आम आदमी की इस मजबूरी को ना केवल शिद्दत से महसूस किया बल्कि इस मजबूरी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के रूप में रास्ता भी निकाला.

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आज के इस कलयुग में रमन त्रेतायुग की याद दिला रहे है. त्रेता में जिस तरह से अपने बुजुर्ग माता-पिता को श्रवण कुमार तीर्थ यात्रा कराने निकले थे, उसी तरह से छत्तीसगढ़ में सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार प्रदेश के बुजुर्गों को तीर्थयात्रा करा रही हैं. सरकार हर वर्ग के लिए अनेक जनकल्याणकारी योजना चला रही हैं, उसमें से एक योजना मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना है. इस योजना में ना जात-धर्म का कोई भेद है और ना ही अमीर-गरीब का, ना ही कोई वर्ग विशेष का. योजना हर किसी के लिए, ये योजना सामाजिक सद्भाव का है. ये योजना हर धर्म, समुदाय के लिए है. हर धर्म के बुजुर्ग, संग-संग चार धाम की यात्रा भी कर रहे हैं, तो अजमेर शरीफ से लेकर, स्वर्ण मंदिर के दर्शन भी. 

तीर्थ दर्शन यात्रा के लिए जाने वाले बुजुर्ग कहते हैं – ‘सिरतोन कहि तो मुख्यमंत्री रमन सिंह हा एक बड़े काम करत हे, चांउर वाले बाबा श्रवण कुमार बनगे हे’. वहीं एक अन्य बुजुर्ग का कहना है कि- ‘हम कहां सोचे रहेन के कि तीरथ भी जाबों ता अतेक जघा के घुम के आ जाबों, ये तो सरकार ही कर सकत रहिस, वोखर किरपा ले हम चारो धाम के दरसन कर आएन’ तीर्थ यात्रा करने वाली एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि ‘अइसन सरकार के जय होवय जेन अपने दाई सहि जान के अपन बेटा सही फरज निभाइस, हमला तीरथ घुमाइस’

बुजुर्गों के दिल से निकली ये बातें, दरअसल आशीर्वाद है उस श्रवण कुमार के लिए, उस सरकार के लिए जो उन्हें खुद की बेटे की तरह तीर्थयात्रा करा रहे हैं. जो दायित्व रमन सरकार घर के किसी अपने सदस्य की भांति निभा रही है, वह एक ऐसी जिम्मेदारी है जो आज के इस युग में परिवार के अपने भी बुजुर्गों के लिए ठीक से नहीं निभा पाते. टूटते रिश्तों के बीच जहां लोग अपने बुजुर्गों को घर से बाहर कर देते है, वहां सरकार रिश्तें की एक नई कड़ी जोड़ रही है.

तीर्थ दर्शन यात्रा कर आए एक बुजुर्ग कहते हैं कि ‘आज जहां हमारे अपने सगे तक हम बुजुर्गों को ठीक से संभाल नहीं पाते, वहां सरकार तीर्थयात्रा करा सगे से बढ़कर रिश्तें निभा रही है. मुख्यमंत्री का यह काम सराहनीय है. हम तो ऐसी सरकार के लिए दुआ मांगते रहते हैं’

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प्रदेश सरकार की अन्य योजनों की तरह मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना भी सर्वधर्म समभाव की भावना पर आधारित है. इस योजना के तहत उज्जैन, ओंकारेश्वर, जगन्नाथपुर , भुवनेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, वृन्दावन, प्रयाग, काशी, शिरडी, शनी सिगनापुर, त्रयम्बकेश्वर, वैष्णोदेवी जम्मू, स्वर्ण मंदिर अमृतसर, तिरूपति बालाजी, मदुरै, रामेश्वर, अजमेर शरीफ, फतेहपुर (चिश्ती की दरगाह, बाबा बैजनाथ धाम, दक्षिणेश्वर काली मंदिर, गंगा सागर, द्वारिका, सोमनाथ, नागेश्वर, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, वेलांगणी चर्च और नागापट्टनम जैसे तीर्थ स्थानों की सूची में शामिल करना प्रदेश सरकार की सर्वधर्म समभाव की भावना को प्रकट करता है. छत्तीसगढ़ के 60 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को उनके जीवनकाल में एक बार प्रदेश के बाहर स्थित देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों की यात्रा शासकीय खर्च पर सुलभ कराने के उद्देश्य से संचालित मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना के तहत अगर आवेदक पति या पत्नि में से किसी का नाम चुना जाता है. तो उसका जीवन साथ भी यात्रा पर जा सकता है. 65 साल से अधिक आयु के ऐसे व्यक्ति जिसने अकेले यात्रा करने के लिए आवेदन किया है. उसे अपने साथ एक सहायक को भी यात्रा पर ले जाने की पात्रता है. सहायक को यात्रा पर ले जाने की दशा में उसे भी तीर्थ यात्री की तरह सुविधा मिलती है. इस योजना में सामूहिक आवेदन करने का भी प्रावधान किया गया है. एक समूह में अधिक से अधिक 25 आवेदक हो सकते हैं. इस योजना में 80 प्रतिशत हितग्राही बीपीएल अन्त्योदय और मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के कार्डधारी और 20 प्रतिशत हितग्राही गरीबी रेखा के उपर, जो आयकर दाता ना हो ऐसे नागरिकों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है. योजना में शहरी क्षेत्र के 25 प्रतिशत हितग्राही और ग्रामीण क्षेत्र के 75 प्रतिशत हितग्राहियों को शामिल करने का प्रावधान है. वहीं अब जल्द ही निःशक्तजनों के लिए भी यात्रा की योजन शुरू की जाएगी, जिससे प्रदेश के निःशक्तजन भी तीर्थ यात्रा का लाभ ले सकेंगे.

आज जहां आम आदमी महंगाई की मार से त्रस्त हैं वही रमन सरकार गरीबों के हित में हर कदम पर  नई-नई योजना के तहत गरीबों और आम नागरिक को राहत पहुंचा रही है. वैसे ही तीर्थ यात्रा योजना जैसे धार्मिक कार्य करके लोगों का मन मोह लिया हैं. इस योजना के जरिए से बुजुर्ग माता-पिता को तीर्थ यात्रा का लाभ मिल रहा है. गरीब परिस्थितियों के चलते बुजुर्ग तीर्थ यात्रा से वंचित हो जाते थे. रमन सरकार ने उनका सपना साकार कर दिया और साबित कर दिखाया कि बूढ़े मां बाप की सेवा क्या होती है. सच में कितना सुखद होता है जब हम उम्र और अपनों के बीच ईश्वर के जयकारे और भजन कीर्तन के साथ तीर्थों की यात्रा करना. इस योजना की यही खसियत है कि तीर्थ यात्री अपने जीवन साथी और सैकड़ों क्षेत्रवासियों के साथ देश के पवित्र तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं. खान-पान और स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ सुरक्षित तीर्थ यात्रा कर वापस लौटे तीर्थ यात्री अपनी सुखद और रोमांचक तीर्थ अनुभूति का वर्णन करते नहीं थकते. प्रदेश के हजारों तीर्थयात्रियों के लिए सामूहिक रूप से पवित्र तीर्थ स्थनों की यात्रा उनके जीवन के लिए अविस्मरणीय बन गये हैं. इस योजना से प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों के चेहरों पर खुशी और उत्साह की चमक देखी जा सकती है.

मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की सभी धर्म एवं वर्ग के लोगों ने सराहना करते हुए इसे सर्वधर्म समभाव की एक अनूठी मिसाल बताया है. प्रदेश के बुजुर्ग रमन सरकार को ढेरों आशीर्वाद दे रहे हैं. गरीब बुज़ुर्गों के श्रवण कुमार बनकर रमन सिंह ने बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा की ख्वाहिश पूरी की है.

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