रायपुर- सुनकर चौक जाएंगे कि एम्स रायपुर में सूबे की एक कद्दावर मंत्री की सिफारिश भी नहीं चली। ये सिफारिश किसी और के लिए नहीं बल्कि खुद की बहू के इलाज के लिए थी, लेकिन एम्स प्रबंधन ने ना तो वक्त पर इलाज किया और ना ही मरीज को डिस्चार्ज। दरअसल हुआ यूं कि इलाज नहीं मिलने से नाराज परिजनों ने मरीज को डिस्चार्ज किए जाने की मांग की, तो एम्स प्रबंधन ने मरीज की फाइल गुम होने का हवाला देकर डिस्चार्ज में लेटलतीफी कर दी।
मामला प्रभावशील मंत्री रमशीला साहू से जुड़ा हुआ था, लिहाजा बात एम्स के संचालक तक जा पहुंची, तब जाकर चार घंटे की मशक्कत के बाद मरीज को बगैर इलाज की छुट्टी दे दी गई। बताया जा रहा है कि रमन सरकार की इकलौती महिला कैबिनेट मंत्री रमशीला साहू की बहू पूर्णिमा साहू को पेट से जुड़ी शिकायत के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया था। डाक्टरों ने मरीज को 6 अप्रैल को अस्पताल में दाखिल करते हुए कहा कि दूसरे दिन सुबह आपरेशन किया जाएगा।
मरीज को कुछ भी खाने को ना दिया जाए, लेकिन दूसरे दिन यानी 7 अप्रैल को शाम तक आपरेशन नहीं किया गया। एम्स प्रबंधन ने परिजनों को इमरजेंसी केस आने की दलील दी। आपरेशन में लेटलतीफी से नाराज परिजनों ने शाम 4 बजे एम्स प्रबंधन से मरीज को डिस्चार्ज किए जाने की मांग लेकिन फाइल गुम हो जाने की वजह से मरीज को रात साढ़े आठ बजे डिस्चार्ज किया जा सका और वह भी मंत्री के पति के भारी विरोध के बाद।
बताया जा रहा है कि मंत्री के पति ने एम्स के आला अधिकारियों से गहरी नाराजगी जाहिर की। नाराजगी की वजह रही कि आनन फानन में मरीज को डिस्चार्ज किया गया। हालांकि इस मामले में एम्स प्रबंधन की ओर से किसी तरह का स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है। लेकिन मंत्री के करीबी बताते हैं कि इस पूरे मामले की लिखित शिकायत ना केवल एम्स प्रबंधन से की गई है, बल्कि सरकार के आला अधिकारियों से भी की गई।