लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद. प्रशासनिक उदासीनता और ठेकेदार की मनमानी के चलते बालोद जिले के आदिवासी विकासखंड डौंडी स्थित फागुनदाह शासकीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहाल मासूम बच्चे रंगमंच में बैठकर अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर है. लगभग 2 वर्ष पूर्व जिला माइनिंग फंड (DMF) से जर्जर हो चुके स्कूल भवन की मरम्मत के लिए 14 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति मिली, लेकिन निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत सिंगनवाहि व ठेकेदार कछुआ गति से निर्माण कार्य करते हुए 2 साल में भी कार्य पूरा नहीं कर पाया. दीपावली के पहले से काम बंद है.
पिछले 19 माह से स्कूल में पढ़ने वाले 38 बच्चों को शिक्षा विभाग गांव के प्राइवेट मकान में बैठाकर पढ़ा रहे थे, जिन्हें मकान मालिक पंचायत और शिक्षा विभाग को स्कूल भवन जल्द बनवाकर मकान खाली करने बार-बार बोल रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली. इसके बाद मकान मालिक ने अपने मकान में ताला जड़ दिया. इसके चलते बच्चों के लिए वह भी छत नहीं बची, जिसमें बच्चे पढ़ाई कर रहे थे.
मकान में ताला जड़ने के बाद बच्चे रंगमंच में पढ़ाई करने मजबूर हो गए और वहां के शिक्षकों ने रंगमंच में ही स्कूल लगा दिया. इसकी सूचना जैसे ही ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को मिली तो मौके पर पहुंचकर पूरे मामले को संज्ञान में लिया. स्कूल भवन को जल्द बनवाने की बात करते हुए जिस मकान में अस्थाई स्कूल संचालित हो रहे थे उनके मकान मालिक से चर्चा कर स्कूल भवन बनते तक स्कूल संचालित करने सहमति बनाई. अब देखना होगा कि कितने प्रतिशत के लालच में काम देने वाले कार्य एजेंसी पर कलेक्टर किस तरीके से कार्यवाही करते हैं, क्योंकि जिला मायनिग फंड कलेक्टर साहब के हाथों में ही होता है.
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