शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में उज्जैन के विधायक के मुख्यमंत्री बनने के बाद विश्व प्रसिद्ध महाकाल की नगरी उज्जैन को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीएम बनने के बाद कांग्रेस ने नया राग छेड़ दिया है। कांग्रेस ने पूछा कि बाबा महाकाल की नगरी में अब दो राजा कैसे रहेंगे?

सदियों पुरानी मान्यता है कि उज्जैन के राजा भगवान महाकालेश्वर यानी बाबा महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास/विश्राम नहीं करता है। अगर कोई भी राजा या मंत्री यहां रात में ठहरता है, तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।

बता दें कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे। विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले उज्जैन पर शासन करने वाली की मृत्यु निश्चित हो जाती थी। साधु-संतों और ज्ञानियों की सलाह के बाद विक्रमादित्य ने राज्य की गद्दी को बाबा महाकाल के नाम से चलाने का फैसला किया। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे। इसके बाद दूसरे दिन ही कथित रूप से देसाई को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने भी एक बार उज्जैन में रात्रि विश्राम किया था। इसके 20 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया था।

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