आंखों में सपनों की झलकियां थी लेकिन हकीकत की जमीं पर जब नज़रें पड़ी तो कपड़ों की तरह पैर भी फटे मिले. फिर भी गरीबी साहस तोड़ने की हिमाकत ना कर सकी. यह छत्तीसगढ़ के कई परिवारों की दास्तां है. जहां एक ओर औरतें घर चलाने के पुरूषों के बराबर का काम करती हैं. वे किसी भी मायनों में पुरूषों से कमतर नहीं हैं. तो वहीं दूसरी ओर ये महिलाएं कुछ मामलों में पुरूषों पर पूरी तरह आश्रित थी. उन्हे तकनीकी ज्ञान का अभाव था जैसे फोन चलाना, इंटरनेट से कोई जानकारी लेना. इसलिए छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने महिलाओं को उनका हक दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने के संचार क्रांति योजना के तहत स्मार्ट फोन देने का फैसला किया. एक कहावत है ना सपने देखिए ,क्योंकि सपने देखने से ही पूरे होते हैं. इस बात पर यकीन रखते हुए छत्तीसगढ़ के परसदाकला निवासी देवकी साहू ने भी सपना देखा कि एक दिन उनके हाथ में भी स्मार्ट फोन होगा. और देवकी साहू का सपना पूरा हुआ भी. छत्तीसगढ़ के मुखिया ने उन्हे स्मार्ट फोन देकर उनकी ख्वाहिश पूरी कर दी.
विधि अग्निहोत्री ,जितेंद्र सिंह। देवकी साहू ने उम्र की दहलीज पर अपने 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं उसने कभी ये सोचा था कि उनके हाथ कभी स्मार्ट फोन आएगा. देवकी महज पांचवी तक ही पढ़ पाई है. शादी के बाद पति के साथ घर की जिम्मेदारी उठाने देवकी ने भी खेती-किसानी का काम करना शुरू कर दिया. परिवार की जिम्मेदारी उठाते-उठाते उसे पता ही नहीं चला कि कब आधी उम्र बीत गई. बच्चों को पढ़ाना, जरूरतें पूरी करना, उनकी शादी करना इन सब के बीच कभी अपने लिए सोचा ही नहीं. लेकिन जब दूसरों के हाथ में मोबाइल फोन देखती तो लगता कि काश उनके पास भी फोन होता, लेकिन अपने लिए एक स्मार्ट फोन लेने के बारे में कभी सोचा ही नहीं. देवकी को जब फोन मिला तब उसे फोन ठीक से चलाना नहीं आता. जो महिला खेत में जिस निपूर्णता से हल चलाती किसे पता था वो उसी कुशलता से फोन भी चला पाएगी. लेकिन अब देवकी घर में स्मार्ट फोन पर अब अपने रिश्तेदारों से बात करती है. वीडियो कॉल करती हैं देवकी ने बताया कि पहले घर में कोई फोन नहीं था. उन्हें बात करने के लिए दूसरों के घर जाना पड़ता था. देवकी फोन की अहमियत को बखूबी समझती है. देवकी कहती है कि स्मार्ट फोन से वे सरकार की कई तरह की योजनाओं का मदद ले सकती है. इसके लिए जरिए कई तरह की समस्याओं का समाधन कर सकती है.
स्मार्ट फोन मिलने की खुशी के घर के लोगों के बीच में देखते ही बनती है. देवकी के पास मौजूद स्मार्ट फोन से घर के सभी लोगों को फायदा मिल रहा है. देवकी साहू का बेटा अपनी मां को मिल फोन इतना खुश है कि वह कहता कि सरकार ने एक तरीके से वर्ग भेद को मिटाने का बड़ा काम किया है. अब निम्न वर्ग के लोगों के पास भी स्मार्ट फोन है यह सबसे बड़ी उपलब्धि है. इस फोन से किसान परिवार को कृषि संबंधी कई महत्वपूर्ण जानकारी मिल रही है. सरकार की योजनाओं से सभी अपडेट रहते हैं. साथ शिक्षा संबंधी कई अहम चीजों के बारे में में स्मार्ट मददगार है.
वहीं परसदाकला की ही रहने वाली हैं ग्वालिन बाई. 55 साल की ग्वालिन स्मार्ट फोन की खुशी को बहुत निश्च्छल भाव से जाहिर करती है. ग्वालिन कहती है कि पहली बार वह फोन अपने हाथ में पकड़ी है. स्मार्ट फोन से अब उन्हें किसी भी चीज की असुविधा नहीं होती है. हर काम सहज रूप से हो जाता है. घर के सदस्यों से संपर्क करना हो या किसी की मदद लेना हो तो एक फोन से काम हो जाता है. वह फोन मिलने के बाद के अनुभव को साझा करती हुई कहती हैं कि अब तो घर बैठे सारे काम हो जाते है. घर में बच्चे भी फोन का इस्तेमाल करते हैं. फोन ने सबका काम आसान कर दिया है.
ग्वालिन के पति खुमान सिंह कहते हैं कि परसदाकला के लोग बहुत खुश है. घर-परिवार के लोग दूर-दूर रहते हैं उनसे मोबाइल से संपर्क कर सकते हैं. खुमान सिंह के लिए कुछ लिखने की जगह उसे सुनते हैं. साथ ही फोन पर ही सरकार की योजनाओं की जानकारी मिल जाती है. मन की बात और रमन के गोठ भी फोन पर सुन लेते हैं.
गांव के सरपंच परसदाकला कहते हैं कि संचार क्रांति योजना से गांव और गांवे दोनों ही सूचना क्रांति के इस युग में सशक्त हो रहे हैं. हमारे गांव में 7 से अधिक लोगों को स्मार्ट फोन मिला है. रमन सरकार की इस योजना से हर तबके को मदद मिल रही है. गांव वाले सरकार की इस योजना बेहद खुश हैं.संचार क्रांति योजना वाकई जहां किसी को रिश्तेदारों से बात करने के साथ-साथ घरेलु मदद मिल जा रही है, तो किसी हर एक जरूरत को स्मार्ट फोन ने पूरा कर दिया है.
राजिम, फिंगेश्वर विकासखंड मुख्यालय सहित आस पास के ग्रामीण क्षेत्रो में संचार क्रांति योजना के तहत महिला हितग्राहीयो को मोबाइल फोन मिलने से खुशी का माहौल है. ग्रामीणों के सपने साकार होने के साथ ही गांव के अंतिम छोर के व्यक्ति तक योजना सरकार की पहुँच रही है. ग्रामीणों के लिए संचार क्रांति योजना मिल का पत्थर साबित हो रहा है. अंतिम छोर के व्यक्ति के परिवारों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था. क्योंकि सुविधाओं के अभाव और गरीबी के चलते इनके हालात बदहाल थे. किसी तरह की दुर्घटना या स्वास्थ्य खराब हो जाने पर मरीज को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता था, क्योंकि ये परिवार समय रहते सूचना ही नहीं भेज पाते थे. लिहाजा रमन सरकार ने ठान लिया कि इन परिवारों को आज की सूचना क्रांति के इस दौर में हर हाथ स्मार्ट फोन पहुँचाया जाएगा.
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