कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हाईकोर्ट जज की कार छीनने के मामले में ABVP नेताओं पर डकैत का मामला दर्ज होने के बाद इस मामले में तूल पकड़ ली है। ग्वालियर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो छात्र हिमांशु और सुकृत की रिहाई के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जा रहा है। इसी आंदोलन के जरिये ग्वालियर में आज साइंस कॉलेज सहित अंचल के सभी शासकीय कॉलेजों में 1 घंटे के लिए क्लास का बहिष्कार किया गया। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की पीके यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर स्वर्गीय रणजीत सिंह को मौन श्रद्धांजलि भी दी गई।

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 ABVP ने शासन प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में दोनों ही छात्रों को न्याय मिलना चाहिए क्योंकि उनका मकसद मदद करना था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने यह भी ऐलान किया है कि यदि सोमवार को उन्हें जमानत नहीं मिलती है तो ऐसी स्थिति में वह उग्र आंदोलन करने को भी मजबूर होंगे। भोपाल स्तर पर आगामी आंदोलन को लेकर बैठक चल रही है। जिसमें बड़ी रणनीति तैयार की जा रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के निजी विश्वविद्यालय प्रांत संयोजक कृष्णा बघेल का कहना है कि दोनों छात्रों को न्याय दिलाने के लिए अब निजी विश्वविद्यालय के छात्र भी समर्थन में उतर आए हैं। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि दोनों छात्रों को न्याय जरूर मिलेगा।

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जानिये ग्वालियर में डकैती अधिनियम का क्या हाल है?

ABVP छात्र नेता हिमांशु श्रोतीय और सुकृत शर्मा पर  पर डकैती अधिनियम के तहत मामला दर्ज होने पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं कि जब अंचल में डकैत ही नही तो डकैती अधिनियम कैसे लागू? सरकार का दावा है कि 13 अप्रैल 2007 के बाद से अंचल में कोई डकैत नहीं है। ग्वालियर जिले में 2022 में 67 और 2023 के 10 माह में ही 53 केस इस अधिनियम के तहत दर्ज हुए हैं। डाकुओं के खात्मे के 16 साल बाद भी उन पर कार्रवाई के लिए बने कानून का उपयोग हो रहा है। 

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डकैती अधिनियम अंचल के सिर्फ 11 जिलों पर ही लागू होता है। अब दोनों छात्र नेताओं के ऊपर डकैती अधिनियम लागू किए जाने के बाद मध्यप्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम 1981 को खत्म करने की मांग उठने लगी है। ABVP के आंदोलन को कट्टर विरोधी छात्र संगठन NSUI ने भी समर्थन दिया है। सभी का आरोप है कि अधिनियम का दुरपयोग हो रहा है। 

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