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रायपुर। प्रदेश के मनरेगा कर्मियों के प्रति असंवेदनशील रवैये की वजह से कांग्रेस सरकार का पतन हुआ. यह बात छत्तीसगढ़ मनरेगा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अशोक कुर्रे ने कहते हुए भाजपा सरकार से मनरेगा कर्मचारियों के लंबित वेतन का भुगतान के साथ प्रदेश के संविदा कर्मचारियों का 100 दिन के भीतर नियमितिकरण करने की मांग की है.
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छत्तीसगढ़ मनरेगा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुर्रे ने विज्ञप्ति के जरिए बताया कि अप्रैल 2022 में छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारियों ने 6 माह का वेतन नहीं मिलने एवं नियमितिकरण के लिए हड़ताल की शुरुआत की. 66 दिन लम्बे संघर्ष के बाद तत्कालीन कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने हड़ताली मंच पर जाकर हड़ताल अवधि का वेतन सहित मांगों को पूरा करने आश्वस्त किया था.
कुर्रे ने आरोप लगाया कि मंत्री के आश्वासन पर अमल होना तो दूर ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाले मनरेगा कर्मचारियों के खिलाफ प्रशानिक प्रताड़ना का लंबा दौर शुरू हो गया. यही नहीं कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के सभी संगठनों को हड़ताल अवधि का वेतन दिया, लेकिन मनरेगा कर्मचारियों को हड़ताल अवधि के वेतन नहीं दिया गया. अशोक कुर्रे ने भाजपा सरकार से मनरेगा कर्मचारियों के लंबित वेतन के भुगतान के साथ प्रदेश के संविदा कर्मचारियों का 100 दिवस के भीतर नियमितिकरण करने की मांग की है.