बिलासपुर. 16 सितंबर का दिन बिलासपुर शहर के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया क्योंकि आज बिलासपुर छत्तीसगढ़ का प्रथम शहर बन गया जहाँ उत्पन्न 100% कचरे का निपटान वैज्ञानिक रीति से एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र के माध्यम से किया जा सकेगा। 35 करोड़ रु की लागत से ग्राम कछार में बने इस संयंत्र का उद्घाटन आज नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल द्वारा किया गया। इस संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन 2 लाख किलो है जिसमें गीले कचरे से कॉम्पोस्ट (खाद) और सूखे कचरे से आर.डी.एफ (Refuse Derived Fuel) बनाया जाएगा।
इस अवसर पर नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल ने स्मार्ट सिटी हमर बिलासपुर’ के नागरिकों को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता का जो संकल्प लिया था उसे हम आज पूरा करने जा रहे है. हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि छत्तीसगढ़ के प्रथम एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्लांट की स्थापना हमारे बिलासपुर में हुई इसके लिए मैं सभी शहरवासियों को तथा पूरी टीम को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता के जो मापदंड रखें थे उसे शत् प्रतिशत हमने पूरा किया है। चाहे ओडीएफ हो, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हो या सड़कों-गलियों की सफाई हो और अब कचरे का व्यवस्थित निपटान। पहले हमारे सामने कचरे के व्यवस्थित निपटान की समस्या रहती थी. व्यापार विहार के बेशकीमती ज़मीन में पहले कचरा पड़ा रहता था जिसे जन सहयोग से कचरा मुक्त किया गया।
समस्या फिर भी बरकरार थी कि इतनी भारी मात्रा में कचरे कैसे करें और आज मुझे प्रसन्नता है कि इसका हमारा शहर कचरा तथा प्रदूषण मुक्त होने जा रहा है। अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि हमारे हर कदम पर जनता ने हमेशा साथ दिया है और आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण में बेहतर स्थान की उम्मीद करते हुए उन्होंने आमजन से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि अगली बार स्वच्छ सर्वेक्षण का पुरस्कार देने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं बिलासपुर आएं हमें ऐसा काम करना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिलासपुर लोकसभा के सांसद लखनलाल साहू ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि प्रदेश के प्रथम एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्लांट का लोकार्पण आज बिलासपुर में हो रहा है। इसका पूरा श्रेय मंत्री अमर अग्रवाल जी तथा उनकी पूरी नगरीय निकाय टीम को जाता है। आस-पासके किसान भाई अब यहां से सस्ते दामों में खाद खरीदेंगे।
कार्यक्रम में उपस्थित नगर निगम आयुक्त सौमिल रंजन चौबे ने कहा कि बिलासपुर नगर निगम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना को एक चुनौती के रूप में लिया गया और योजनाबद्ध तरीक़े से समय सीमा में पारदर्शी ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया का पालन करते हुए PPP पार्ट्नर का चयन किया गया एवं चरणबद्ध तरीक़े से शहर में डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन का कार्य प्रारंभ किया गया। साथ ही डेढ़ लाख से अधिक डस्टबीन का निशुल्क वितरण किया गया। एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के संयंत्र के निर्माण के कार्य को तय समय से दस महीने पहले पूर्ण कर आज लोकार्पित कराया गया, इसके लिए उन्होंने नगर निगम की पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी।
उन्होंने कहा कि हाल ही में घोषित स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में बिलासपुर पूरे देश में 22वें स्थान पर रहा। अब इस संयंत्र की स्थापना एवं GIS based manual and mechanised sweeping project के प्रारंभ होने के बाद बिलासपुर नगर निगम अगले सर्वेक्षण के लिए और भी बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करेगा। इससे पूर्व अतिथियों ने पूरे प्लांट का भ्रमण कर सभी सिस्टम को समझा। आज के इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से महापौर किशोर राय, सभापति अशोक विधानी, जिला पंचायत के अध्यक्ष दीपक साहू,नगर निगम के सभी पार्षद,एमाआईसी सदस्य,ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि तथा आमजन उपस्थित रहें।
तय समय से 10 माह पहले ही तैयार हुआ प्लांट
पर्यावरण स्वीकृति मिलने के पश्चात् दिनांक 1 नवंबर 2017 से संयंत्र स्थापना का कार्य प्रारंभ किया गया जिसे डेढ़ साल की दी गयी समय सीमा से पूर्व मात्र आठ महीने में पूर्ण कर लिया गया।
परियोजना का अब तक का सफर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के आह्वान पर, मुख्यमंत्री रमन सिंह के मार्गदर्शन में तथा नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल के निर्देशन में बिलासपुर शहर में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) अंतर्गत एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना लागू की गयी। इस परियोजना में ग्लोबल टेंडर प्रक्रिया की प्रक्रिया समय सीमा में पूर्ण करते हुए 19 जनवरी 2017 को Delhi MSW Solutions Limited एवं नगर पालिक निगम बिलासपुर के मध्य अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए, तत्पश्चात् 1 अप्रैल 2017 से बिलासपुर शहर में डोर टू डोर कचरा एकत्रीकरण प्रारंभ किया गया। आज शहर के 65,000 से अधिक घरों एवं संस्थानों/प्रतिष्ठानों में 80 से अधिक GPS से लैस आधुनिक वाहनों के माध्यम से कचरा एकत्रित किया जाता है एवं कचरा उठाने वाली गाड़ी में बजता स्वच्छ भारत का गीत अब लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। औसतन 180 टन कचरा प्रतिदिन इन वाहनों के माध्यम से एकत्रित किया जा रहा है। घरों में गीले और सूखे कचरे के पृथकीकरण एवं एकत्रीकरण हेतु नगर निगम द्वारा शहर के प्रत्येक घर/दुकान/संस्थान में एक-एक नीले तथा हरे डस्टबिन का निःशुल्क वितरित की गया । यह पूरी योजना पब्लिक प्राइवेट पार्ट्नर्शिप (पी.पी.पी) मोड़ पर क्रियान्वित की गयी है जिसका मॉडल DBFOT (Design, Build, Finance, Operate and Transfer) है। इस संयंत्र की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें संपूर्ण राशि PPP पार्ट्नर द्वारा लगाई गयी है एवं इसमें नगर निगम अथवा शासन द्वारा किसी प्रकार का कोई राशि का निवेश नहीं किया है।
35 करोड़ की लागत से 25 एकड़ में तैयार संयंत्र ऐसे करेगा कार्य
लागत – 35 करोड़ रु
क्षेत्रफल – 25 एकड़
स्थान – ग्राम कछार
क्षमता – 200 टन प्रतिदिन (अभी) जिसे आवश्यकता अनुसार 500 टन प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है
यह छत्तीसगढ़ का प्रथम एवं भारत का द्वितीय पूर्ण रूप से ढका हुआ मैकेनाइज्ड एरोबिक आधारित प्लांट है. RDF (रिफ़्यूज़ डिराइव्ड फ़्यूअल) – सूखे कचरे को मकैनिकल स्क्रीन्स के माध्यम से बनाया जाकर Aerobic Chambers में सुखाया जाएगा और इसे सीधे सिमेंट प्लांट को एक वैकल्पिक ईंधन के रूप में उपयोग हेतु भेजा जाएगा। अनुमान अनुसार प्रतिदिन इससे 100 टन RDF प्रतिदिन निर्मित होगा।
कॉम्पोस्ट – इसे खाद के रूप में उपयोग किया जाएगा। इसमें गीला कचरा Tipping Floor से Mechanical Screener/Trommel से Aerobic Static Piles में भेजा जाएगा जहाँ इसे forced aeration के माध्यम से किण्वित किया जाएगा। जिससे जैविक प्रक्रिया में तेज़ी आकर अतिशीघ्र कॉम्पोस्ट का निर्माण हो सकेगा। इसमें लगभग 50 टन कॉम्पोस्ट प्रतिदिन निर्मित होने की संभावना है।
निगरानी के लिए MIS साफ्टवेयर, जल दूषित ना हो इसका भी रखा गया है ख्याल
संयंत्र में 2.9 एकड़ में एक इंजीनियरिंग सेनेटरी लैंडफिल का भी निर्माण भी किया गया है जिसे inerts के अंतिम निपटान हेतु उपयोग में लाया जाएगा। इस लैंड्फ़िल में Geo Synthetic Clay Liner, HDPE Liner, Filter Media, leachate collection sump, solar evaporation pond एवं leachate treatment plant का निर्माण भी किया गया है जिससे की किसी भी प्रकार से आस पास के भू-जल स्त्रोत प्रदूषित न हों तथा संयंत्र के क्रियाकलापों पर चौबीस घंटे निगरानी हेतु एक MIS सॉफ़्ट्वेर भी बनाया गया है। इसके अतिरिक्त संयंत्र में कचरे, उत्पाद और जल की जाँच के लिए प्रयोगशाला भी स्थापित की गयी है।
संयंत्र में नई टेक्नॉलोजी का भी उपयोग करते हुए Multi Effect Evaporator & RO Processing Technology for Leachate Treatment का निर्माण भी किया गया है।
‘स्वच्छता’ अब बन चुकी है बिलासपुर की पहचान
हाल ही में संपन्न विश्व की सबसे बड़ी शहरी स्वच्छता प्रतियोगिता ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2018’ में नगर पालिक निगम बिलासपुर ने पूरे देश भर के 4203 शहरों में 22वाँ स्थान हासिल किया था जिसे शहर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा सकता है। साथ ही आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारत के सभी बड़े शहरों के मध्य ‘Ease of Living Index 2018’ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें बिलासपुर को रहने के लिहाज़ से 13वाँ सबसे अच्छा शहर निरूपित किया गया है।
इसके साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह द्वारा अटल विकास यात्रा के दौरान दिनांक 5 September को बिलासपुर शहर हेतु 58 करोड़ रु की लागत से GIS Based Manual and Mechanised Road Sweeping Project का शुभारंभ किया था। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अत्याधुनिक तकनीकों से लैस वाहनों से शहर की सड़कों की सफ़ाई की जाएगी और साथ ही सफ़ाई पर नज़र रखने सफ़ाई कंट्रोल रूम की स्थापना भी को गयी है। कंट्रोल रूम उद्घाटन भी आज नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल के कर कमलों संपन्न हुआ।
छत्तीसगढ़ राज्य है स्वच्छता में सिरमौर -NGT
हाल ही में आयोजित एक सर्वे में यह पाया गया कि देश के समस्त राज्यों में से कचरे का वैज्ञानिक रीति से निपटान करने में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। राज्य द्वारा उत्पन्न कचरे में से 83% कचरे का निपटान मानकों के अनुरूप किया जा रहा है जो कि देश में सबसे अधिक है। NGT द्वारा सभी राज्यों को छत्तीसगढ़ के स्वच्छता मॉडल को अपनाने की सलाह दी गयी है तथा इस मॉडल का अध्ययन करने गुजरात, महाराष्ट्र एवं आठ अलग अलग राज्यों की टीमें छत्तीसगढ़ आ चुकी हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में राज्य ने तीसरा स्थान प्राप्त किया था एवं छत्तीसगढ़ को इंदौर में 23 जून 2018 ऐन आयोजित सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित भी किया गया था।