UPI Payment: जैसे-जैसे साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे साइबर क्रिमिनल्स भी जालसाजी के तरीकों में बदलाव कर रहे हैं. आए दिन ठगी के नए तरीकों (Cyber Faud New Trend) से लोगों की मेहनत की कमाई पर चपत लग रही है. बदमाश ठगी के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

केंद्र सरकार ने हाल ही में अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से लेनदेन की सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ा दिया है. फैसला UPI यूजर्स के लिए काफी अच्छा है, लेकिन इससे साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बनाने का अधिक प्रयास करेंगे. साइबर जालसाज UPI के माध्यम से अलग-अलग तरीके से लोगों के साथ ठगी करते हैं. ऐसे में यूजर्स को UPI का उपयोग करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान देना चाहिए.

साइबर जालसाज UPI से इस तरह करते हैं ठगी

UPI के माध्यम से लोगों से ठगी करने के लिए साइबर जालसाज फिशिंग, विशिंग (वॉइस फिशिंग), सोशल इंजीनियरिंग और OR कोड फ्रॉड जैसे तरीकों का उपयोग करते हैं. इसके लिए जालसाज भ्रामक ईमेल, टेक्स्ट मैसेज, UPI ऐप्स या बैंकों से मिलते-जुलते वेबसाइट लिंक का उपयोग करते हैं. वे UPI ऐप का प्रतिनिधि बनकर लोगों से संपर्क करते हैं. इसके साथ ही कई बार पुरस्कार मिलने का झांसा देकर और QR से छेड़छाड़ कर भी लोगों से ठगी करते हैं.

UPI ठगी का शिकार होने से कैसे बचे?

UPI ठगी से बचने के लिए उपयोग न होने पर अपने फोन को हमेशा लॉक रखें. अपने UPI पिन या अन्य वित्तीय अकाउंट से जुड़े पासवर्ड को किसी के भी साथ साझा ना करें. UPI का उपयोग करने के लिए हमेशा किसी विश्वसनीय पेमेंट ऐप का ही उपयोग करें. किसी भी UPI ID पर पैसा भेजने से पहले उसकी परमाणिकता की जांच करें. साइबर ठगी की आशंका का होने पर तत्काल साइबर अपराध सेल और अपने बैंक में सूचना दें.

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