राकेश चतुर्वेदी, भोपाल. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि 25 दिसम्बर को हुकुमचंद मिल इंदौर के मजदूरों को उनका हक मिलेगा और इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजदूरों से वर्चुअली संवाद करेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस, सुशासन दिवस पर यह कार्यक्रम हो रहा है। तीस वर्ष से लंबित इस प्रकरण में 4 हजार 800 श्रमिकों को राहत मिलेगी और उनके परिवारों के लगभग 25 हजार सदस्य लाभान्वित होंगे। इंदौर के नंदा नगर क्षेत्र स्थित कनकेश्वरी धाम में 25 दिसंबर को सुबह 11 बजे से कार्यक्रम आरंभ होगा।
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंत्रालय में इंदौर में 25 दिसम्बर को होने वाले हुकुमचंद मिल के कार्यक्रमों की तैयारियों को लेकर अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव मलय श्रीवास्तव,प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राघवेंद्र सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। कमिश्नर, कलेक्टर तथा पुलिस कमिश्नर इंदौर बैठक में वर्चुअली शामिल हुए।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इंदौर जिला प्रशासन को दिए निर्देश दिए कि मजदूरों को मिलने वाले हितलाभ की राशि के लिए मजदूरों को परेशान न होना पड़े, कलेक्टर यह सुनिश्चित करें की राशि सीधे मजदूरों को मिले, इसके लिए आवश्यक हो तो मजदूर संघों से बातचीत की जाए। मजदूरों को मिलने वाली हितलाभ की पूरी राशि मजदूरों तक पहुंचे, कोई भी बीच में न आए, मजदूरों के हित सुनिश्चित करने के लिए तत्काल बैठक बुलाकर आवश्यक कार्रवाई की जाए और राशि वितरण की सुगम व्यवस्था पर निगरानी रखी जाए।
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मुख्यमंत्री डॉ यादव ने निर्देश दिए कि जिन अन्य मिलों की देनदारियां रही हैं उन मिलों के प्रकरणों का निराकरण भी हुकुमचंद मिल के मॉडल के आधार पर कर मजदूरों को राहत दी जाए। बैठक में बताया गया कि कुल 11 मिलों के प्रकरण न्यायालय में लंबित हैं।
गौरतलब है कि हुकुमचंद मिल 70 वर्ष सफलता पूवर्क चलने के बाद 1992 में बंद हो गई थी। मिल मजदूर और बैंकों की देनदारियां 30 वर्षों तक न्यायालय एवं अन्य प्रक्रिया में लंबित रही। राज्य शासन ने पहली बार 2022 में पहल की और गृह निर्माण मंडल को समझौता कर, राशि भुगतान का उत्तरदायित्व दिया गया। एक वर्ष के अंदर सभी दावेदारों के साथ समझौता सुनिश्चित कराया गया और श्रमिक यूनियन के साथ भी सहमति सहित समझौता हुआ। उच्च न्यायालय ने समझौता प्रस्ताव को सहमति दी और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 19 दिसम्बर 2023 को स्वीकृति प्रदान की तथा 20 दिसम्बर को उच्च न्यायालय में राशि जमा कर दी गई।
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