बीते 150 सालों में राज्य में केवल 1100 किलोमीटर के आस-पास रेल लाइनें बिछाई गई थी, लेकिन आज राज्य में 1300 किलोमीटर से ज्यादा रेललाइन बिछाने का काम तेजी से चल रहा है. ये रेललाइन सिर्फ आवागमन का साधन नहीं होंगी, बल्कि इसकी बिछती पटरियों के साथ-साथ राज्य के विकास की दिशा भी तय होगी. छत्तीसगढ़ विकास की लंबी छलांग लगाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है. दरअसल ये उस दूरदृष्टि सोच का नतीजा है, जो मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने सत्ता में काबिज होने के साथ देखा था. वक्त की बदलती करवट के साथ-साथ यह सपना साकार होता चला गया. आज छत्तीसगढ़ में रेल नेटवर्क का जाल बिछाया जा रहा है. रमन ने जैसा कहा, वैसा किया भी.
कई दशक बीत गए थे, लेकिन खनिज संसाधनों में देश की एक बड़ी जरूरत पूरी करने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में रेल नेटवर्क का कोई विस्तार नहीं हुआ था. सैकड़ों मीलों की दूरी तय करने के लिए सिवाए सड़कों के अलावा कोई दूसरा जरिया न बन सका था. देश के कोने-कोने को जोड़ने वाली रेल सुविधा का विस्तार किए जाने की ओर पहले की किसी भी सरकारों ने प्रयास ही नहीं किया. विकास के वादे के बूते सत्ता की बागडोर संभालने वाले मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने इस बात को बखूबी समझा कि विकसित राज्यों की सूची में शुमार होना है, तो सड़कों के विस्तार के साथ-साथ रेल नेटवर्क एक अहम कड़ी साबित होगी. उन्होंने ईमानदार कोशिश के बीच लक्ष्य तय किया. आज एक दशक बाद छत्तीसगढ़ रेल नेटवर्क का जाल बिछाए जाने की दिशा में तेजी से अग्रसर होता जा रहा है. छत्तीसगढ़ देश का ऐसा इकलौता राज्य है, जिसने रेल काॅरीडोर प्रोजेक्ट के जरिए ये रास्ता बताया कि राज्य सरकार की पहल के बूते भी रेल नेटवर्क खड़ा किया जा सकता है. गुड्स सप्लाई के साथ-साथ यात्री परिवहन को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने रेल काॅरीडोर बनाए जाने के लिए रेल मंत्रालय से अहम समझौता कर ज्वाइंट वेंचर बनाया.
रेल काॅरीडोर को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में इस समय 21 हजार 300 करोड़ रूपए की रेल परियोजनाओं पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है. इसमें राज्य सरकार का अंशदान केवल 620 करोड़ रूपए होगा. इन परियोजनाओं के तहत लगभग 1100 किलोमीटर रेल मार्ग बिछाये जाएंगे. उन्होंने कहा – वर्तमान में 565 किलोमीटर के पांच नये रेल मार्गों का निर्माण प्रगति पर है, जिनकी लागत ग्यारह हजार करोड़ रूपए से ज्यादा है. इसमें पूंजी निवेश के लिए राज्य सरकार का अंशदान 220 करोड़ रूपए है. इन पांच रेल मार्गों में पूर्वी रेल कॉरिडोर (दो चरणों में), पूर्व-पश्चिम रेल कॉरिडोर, दल्लीराजहरा-रावघाट और रावघाट-जगदलपुर रेल परियोजना शामिल हैं. प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रेल मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम कंपनी – छत्तीसगढ़ रेल्वे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया है. इस कंपनी में अब तक चार नये रेल मार्गों को चिन्हांकित किया है, जिनमें राज्य सरकार की भागीदारी 51 प्रतिशत और भारत सरकार की भागीदारी 49 प्रतिशत है. इस संयुक्त उपक्रम कंपनी द्वारा प्रथम चरण में लगभग 785 किलोमीटर की चार प्रस्तावित रेल परियोजनाओं का अध्ययन शुरू कर दिया है. इनमें से 550 किलोमीटर की दो परियोजनाओं को सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है. इनमें डोंगरगढ़-खैरागढ़-कवर्धा-मुंगेली-कोटा-कटघोरा 280 किलोमीटर और खरसिया-बलौदाबाजार-नया रायपुर-दुर्ग 270 किलोमीटर के रेल मार्ग शामिल हैं. इनके निर्माण में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश होगा और इसमें राज्य सरकार का अंशदान केवल 400 करोड़ रूपए का होगा. उन्होंने कहा इस प्रकार 21 हजार तीन सौ करोड़ रूपए से ज्यादा की रेल परियोजनाओं में राज्य का अंश केवल 620 करोड़ रूपए होगा लेकिन इससे हमारे यहां लगभग 1100 किलोमीटर की नयी रेल लाइनें बिछेंगी, जिनका फायदा जनता को मिलेगा.
2022 तक पूरा होगा सपना
दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे और छत्तीसगढ़ पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड के बीच पूर्व-पश्चिम रेल कॉरिडोर के निर्माण, संचालन और संधारण के लिए कन्सेंशन एग्रीमेंट पर 1 जुलाई 2018 को मंत्रालय में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए. यह समझौता 30 वर्षाें के लिए किया गया है. इस महत्वपूर्ण समझौते से गेवरारोड-पेण्ड्रारोड तक 135.30 किलोमीटर ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है. लगभग चार हजार 970 करोड़ 11 लाख रूपए की लागत से ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर में दोहरी रेल लाइन बिछायी जाएगी. यह परियोजना मार्च 2022 तक पूरी होने की संभावना जताई जा रही है. कंसेशन एग्रीमेंट पर दक्षिण-पूर्व मध्य रेल के मुख्य यातायात एवं योजना प्रबंधक जी.एम. नायडू और पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जे.एन. झा ने हस्ताक्षर किए गए थे. इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि यह रेल परियोजना छत्तीसगढ़, रेलवे और कोल इंडिया के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है. प्रधानमंत्री स्वयं इस परियोजना की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं.
ईस्ट-वेस्ट रेलवे लिमिटेड छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाया गया संयुक्त उपक्रम एसपीव्ही (स्पेशल परपश व्हीकल) कंपनी है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम, एसईसीएल और इरकान इंटर नेशनल लिमिटेड हिस्सेदार है. इस कारिडोर की मदद से कोरबा में कुसमुंडा और गेवरा में प्रारंभ होने वाली नई कोयला खदानों से निकलने वाले कोयले का परिवहन सुगमतापूर्वक हो सकेगा. यात्री परिवहन भी इस रेलमार्ग द्वारा होगा. एक अनुमान के मुताबिक इन दोनों खदानों के प्रारंभ होने से कोरबा में कोयले का उत्पादन एक सौ मिलियन टन से बढ़कर 160 मिलियन टन हो जाएगा. इस कारिडोर के निर्माण से इस क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी. इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो गया है. इस कॉरिडोर से खरसिया से कोरीछापर तक 45 किलोमीटर रेल लाइन का काम आगामी मार्च 2019 तक पूर्ण होने की संभावना है.
पौने छह हजार करोड़ से बिछ रही रेल लाइन
बलौदाबाजार जिले से 258 किमी तक खरसिया से नया रायपुर एवं नया रायपुर से दुर्ग के बीच 5 हजार 78 करोड़ रुपए की लागत से नई रेल लाइन बिछाई जाएगी. इसके लिए भूमि अधिग्रहण का काम शुरू किया गया है, जिसे चार महीने में पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद रेल लाइन बिछाने का काम शुरू होगा. इस कॉरिडोर में 27 स्टेशन बनाए जाएंगे. जो कि सभी उच्च कोटी की यात्री सुविधा से परिपूर्ण होगा. माल ढुलाई के लिए रिसदा, चुचरुंगपुर में बनने वाले स्टेशनों से श्री सीमेंट तथा इमामी सीमेंट की फैक्ट्रियों तक रेल लाइन ले जाने की व्यवस्था की जा रही है. इस रूट का सर्वे भी पूरा हो चुका है साथ ही भू-अधिग्रहण के लिए दक्षिण-पूर्व मध्य रेल्वे के महाप्रबंधक से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. कॉरिडोर में आने वाली जमीनों का संयुक्त सर्वे संबंधित जिलों में शुरू हो चुका है. कॉरिडोर निर्माण के लिए रेलवे और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम छत्तीसगढ़ रेल्वे कार्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना पहले ही की जा चुकी है. कॉरिडोर के निर्देशक ने बताया कि शासन एवं मुख्यमंत्री के निर्देशन में भू-अधिग्रहण कार्य में जिला स्तरीय प्रशासनिक अफसरों का सहयोग लिया जा रहा है. भू-अधिग्रहण से संबंधित पूरी औपचारिकताएं चार माह में पूरी करा ली जाएंगी. कॉरिडोर के लिए लगभग 5 हजार 78 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, जिसे निजी एवं राज्य से सहयोग से जुटाया जाएगा. खरसिया से नया रायपुर के बीच पड़ने वाले 55 गांवों के लोगों को इसका सीधा फायदा मिलेगा और ये गांव रेल लाइन से जुड़ जाएंगे. यहां के ग्रामीण राज्य व देश के किसी भी कोने में आसानी से पहुंच पाएंगे.
गुदूम तक शुरु हुई ट्रेन
इसके अलावा दुर्ग- दल्ली राजहरा-रावघाट परियोजना का कार्य भी अपने अंतिम चरण में है. परियोजना के तहत रावघाट तक रेल लाइन बिछाई जानी है. रावघाट परियोजना पूरी होने से यहां से बीएसपी को लौह अयस्क की आपूर्ति सुनिश्चित हो जाएगी. इस परियोजना के तहत गुदूम तक रेलवे ने अपना संचालन शुरु कर दिया है. गुदूम स्टेशन तक अब प्रतिदिन लोकल गाड़ी चलने लगी है. वहीं रावघाट तक रेल लाइन का विस्तार भी जारी है.
ये थी चुनौतियां
छत्तीसगढ़ में रेल परियोजनाओं का विस्तार करना सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था. भौगोलिक परिस्थितियों से ज्यादा परियोजना को पूरी करने के लिए लोगों की जमीनें अधिग्रहण करने, माओवाद ग्रस्त इलाकों में नक्सली सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी. दल्लीराजहरा से रावघाट परियोजना में विलंब इसी बड़ी चुनौती की वजह से ही आ रही है. यहां संगीन के साए में बीएसएफ की मौजूदगी में रेलवे लाइन का विस्तार किया जा रहा है. इस रेल लाइन विस्तार में बीएसएफ ने अपने कई जवानों को खोया है. लेकिन गुदूम तक रेल लाइन पूरी होने पर जब वहां ट्रेन का संचालन हुआ तो वहां के लोगों में खुशियों का ठिकाना नहीं था. पहली बार उन इलाकों के लोगों ने अपने जीवन में ट्रेन को देखा था. अब गुदूम से प्रतिदिन लोग दुर्ग-रायपुर पहुंचते हैं. इस रेल लाइन के बिछ जाने से स्थानीय व्यापारियों के व्यापार में इजाफा हुआ है. इलाके में रहने वाले आदिवासी जो कि पौनी-पसरा लगा कर अपना गुजर बसर करते थे वे अब ट्रेन से दूर-दूर जाकर वनों में उत्पन्न होने वाले फल-फूल, जड़ी बूटी और स्थानीय कलात्मक चीजों को अन्य जिलों में ले जाकर सीधे विक्रय करना शुरु कर दिए हैं. इस तरह से उन ग्रामीणों को बिचौलियों के शोषण से भी मुक्ति मिली है.
रोजगार-व्यापार में होगी वृद्दि
चारों रेल कॉरिडोर के पूरे होने के बाद प्रदेश के कई जिले के लोग सीधे रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे. सैकड़ों की संख्या में स्थित गांव रेल कॉरिडोर परियोजना की जद में आएंगे. इसका फायदा उन्हें मिलेगा. उन सभी इलाकों में व्यापार बढ़ने के साथ ही रोजगार में भी वृद्धि होगी. इन इलाकों के ग्रामीणों को सुगम रेल परिवहन की सौगात मिल जाएगी.
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