समीर शेख, बड़वानी। आर्थिक संकट से जूझ रही बड़वानी नगर पालिका के सामने कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ गए हैं। नगर निगा, कर्मचारियों को नवंबर माह से वेतन नहीं दे पाई है। इसकी एक वजह आमदनी से ज्यादा खर्चे होने के साथ ही शासन से मिलने वाले अनुदानों में कटौती होना है। 

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बड़वानी चूंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिलने वाली राशि में से शासन ने सालभर में 1 करोड़ 46 लाख रुपए कम दिए गए। जिससे वित्तीय स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। फिलहाल जैसे तैसे नगर पालिका में नियमित कामकाज चल रहे हैं। बताया जाता है कि चुनावी दौर में सरकार ने इतना ज्यादा खर्च कर दिया कि खजाना खाली हो गया। जिसके चलते नगरीय निकाय को मिलने वाले अनुदान पर असर पड़ा है। 

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नगर पालिका सीएमओ कुशलसिंह डुडवे के अनुसार चुंगी क्षतिपूर्ति की बात करें तो हर महीने 36 लाख रुपए नगर पालिका को मिलने चाहिए। इस लिहाज से जनवरी से दिसंबर तक 12 महीने में कुल 4 करोड़ 32 लाख रुपए बड़वानी नगर पालिका को मिलना था। जबकि अब तक महज करीब 2 करोड़ 86 लाख रुपए ही चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त हुए हैं। इसमें भी दिसंबर माह का पेमेंट अभी तक नही मिला। संपत्ति कर और जलकर की वसूली भी अटकी होने से नगर पालिका की माली हालत खस्ता हो चली है। जिनका असर व्यवस्था संचालन के साथ विकास कार्यों पर भी पड़ रहा है। 

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इस भयावह वित्तीय संकट से उबरने के लिए नगर पालिका के पास अब अपनी आय के अतिरिक्त स्रोत तलाशने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है। नगर पालिका के नियमित कर्मचारियों की संख्या 125  है। जबकि विनयमित कर्मचारी और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की संख्या करीब 300 है। इनका वेतन ही करीब 60 से 62  लाख रुपए बनता है। इसके अलावा बिजली बिल और अन्य खर्च जिसमें कर्ज की अदायगी भी शामिल है, यह लगभग 30 लाख रुपए हैं। 

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बड़वानी नगर पालिका सीएमओ कुशलसिंह डुडवे का कहना है कि शहर की नवीन पेयजल योजना के लिए करीब 21 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। उसके लिए हर तीसरे माह करीब 13  लाख रुपए किश्त के रूप में जमा करवाने पड़ते हैं। खर्चों के मुकाबले यदि नगर पालिका की आय देखें तो आधी भी नहीं है। चुंगी क्षतिपूर्ति की रकम कभी भी पूरी प्राप्त नहीं हुई। दुकान के किराए और अन्य कर से करीब 5 लाख रुपए मिल जाते हैं। लगभग 5 से 6 लाख रुपए जलकर आता है। इसके अलावा 2 से 3 लाख रुपए अन्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त हो जाता है।

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