तनवीर खान, मैहर। रबी सीजन की फसल बोनी के बाद किसान यूरिया की डिमांड करने लगे हैं। वहीं इस मांग के बीच मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारियों ने फर्जीवाड़े का अजब-गजब तरीका ढूंढ़ निकाला। फिंगर मिलान नहीं होने की आड़ लेकर दूसरे किसानों के नाम पर अधिक मात्रा की पर्ची काटी जा रही है और बाद में पेन से कम मात्रा लिखकर उन्हें खाद देकर चलता कर दिया जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि अधिक मात्रा का पैसा कौन जमा कर रहा है। क्या किसानों के नाम पर व्यापारियों के द्वारा कोई खेल किया जा रहा है? फिलहाल इस मामले में विभागीय अधिकारियों के द्वारा किसानों से शिकायत नहीं मिलने का बहाना बनाया जा रहा है।
मामला मैहर जिले के देराजनगर का है, जहां मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित मध्य प्रदेश के देराजनगर में यहां ऑपरेटर अपनी मनमानी पर उतारु है। बताया जाता है कि पीओएस मशीन से स्लिप इसी ऑपरेटर के द्वारा निकाली जाती है। जो बाद में पर्ची के पीछे किसानों को देने वाली मात्रा दर्ज कर देता है। इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है।
मामले में जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने कंप्यूटर आपरेटर से बात की तो उसने कुछ भी कहने ने मना कर दिया। वहीं अपने कार्यालय का दरवाजा बंद कर लिया। इसके बाद कैमरा देख अपने को बचाने के लिए जवाब दिया की अगर किसी किसान का फिंगर नही लगता तो हम अधिक निकाली हुई खाद उसे दे देते है। अब सवाल यह है कि जब बिना फिंगर लगाए खाद देना ही नही है तो निकाली हुई खाद की कही कालाबाजारी तो नही की जा रही।
रामनगर के देवदहा निवासी ब्रजलाल सिंह वैस के नाम पर यूरिया की पर्ची काटी गई। पीओएस मशीन में 20 बोरी दर्ज की गई। जिसका रेट 5330 रुपए हुआ। वहीं इसी पर्ची में तीन बोरी यूरिया हाथ से लिखकर दिया गया। इस पर्ची में दर्ज 17 बोरी यूरिया कहां गईं? किन किसानों के नाम पर इसका अर्जेस्टमेंट किया गया। क्या ऑपरेटर किसी प्राइवेट दुकान से मिली भगत कर यह खेल-खेल रहा है।
गोरहाई के किसान भी देवराजनगर के विपणन संघ खाद लेने पहुंचे थे। उन्हें भी तीन बोरी खाद की जरूरत थी। उनके नाम पर 15 बोरी खाद की पर्ची निकाली गई। पर्ची के पीछे तीन बोरी हाथ से लिखी कई। इनकी 12 बोरी खाद कहा चली गई? किस किसान का फिंगर नहीं मिला इसके बारे में कोई भी जानकारी न तो विभाग के अधिकारी को है और न ही किसी अन्य को।
गैलहरी के किसान रमाकांत पटेल भी खाद लेने के लिए पहुंचे थे। इनके नाम पर भी 15 बोरी यूरिया की पर्ची निकाली गई। जबकि उन्हें खाद मात्र तीन बोरी दी गई। उनसे पैसा कितना लिया गया यह तो स्पष्ट नहीं हो सका, लेकिन पर्ची के पीछे लिखी तीन बोरी की मात्रा यह बताती है कि यहां भी कुछ खेल जरूर हुआ है।
जिस प्रकार से मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराजनगर के ऑपरेटर द्वारा पर्ची अधिक की काटी जाती है और खाद कम दी जाती है उससे आशंका यही है कि यह खाद बाजार में खपाई जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर किसानों ने बताया कि यह पूरा खेल किसानों के नाम पर इसलिए किया जा रहा है कि इसको जांच में कोई पकड़ नहीं सके। अब यहां देखना होगा कि क्या विभाग के अधिकारी ऑपरेटर से इस बात की पुष्टि करेंगे कि फिंगर न मिलने वाले कितने किसान उनके पास पहुंचे और वे इस बात को कैसे प्रमाणित करेंगे?
मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित देवराजनगर के ऑपरेटर आनंद द्विवेदी ने दावा किया कि वे फिंगर मिलान नहीं होने वाले किसानों की सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं। ऐसे में इस बात का प्रमाण लिया जाना चाहिए कि फिंगर मिलान नहीं होने वाले कितने किसान उनके पास पहुंचे। जब यहां अधिकांश किसान दो से तीन बोरी यूरिया ले रहे हैं तो फिंगर न मिलान होने वाले किसानों को ही 17 और 12 बोरी यूरिया की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
वहीं इस पूरे मामले में मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ ने कहा कि मौके पर एसडीएम को भेज कर जांच करवाएंगे, जो भी दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी। इधर एसडीईओ विष्णु त्रिपाठी ने कहा की पीओएस मशीन से ही खाद का दिए जाने का निर्देश है। पेन से लिखना पूरी तरह से अनुचित है। जैसा बताया जा रहा है वैसी शिकायत किसी किसान द्वारा नहीं की गई। अगर, ऐसा हो रहा है तो इस मामले की जांच कराई्र जाएगी।
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