नई दिल्ली . एम्स दिल्ली के आधुनिक स्मार्टलैब में अब एआई से पहले के मुकाबले अधिक बीमारियों की जांच हो सकेंगी. इसमें अल्जाइमर का समय से पहले पता लगाने वाले मार्कर, कैंसर, एक्लेशिया जैसे कई अन्य रोगों की जांच शामिल हैं.

अब जांच के माध्मय से स्ट्रोक जैसे न्यूरो डिसार्डर का भी पहले पता लगाया जा सकेगा. यह जानकारी लैब मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुदीप दत्ता ने बुधवार को दी.

उन्होंने कहा कि स्मार्ट लैब में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के इस्तेमाल से पहले के मुकाबले अधिक जांच हो रही हैं. डॉक्टरों ने बताया कि अब 30 से 40 फीसदी जांच की रिपोर्ट चार घंटे में दी जा रही है. वहीं, अन्य रिपोर्ट 12 घंटे के अंदर तैयार हो जाती है.

डिपार्टमेंट ऑफ लेबोरेटरी मेडिसिन के अंतर्गत आने वाली एम्‍स की स्‍मार्टलैब में करीब 100 तरह की रोजाना 80 से 90 हजार जांचें की जा रही हैं वहीं करीब 5 से 6 हजार सैंपल रोजाना जमा किए जा रहे हैं. इस बारे में स्‍मार्ट लैब विभाग के एचओडी प्रो. सुदीप दत्‍ता ने बताया कि एआई और रोबोटिक इक्विपमेंट की वजह से डॉक्‍टरों और मरीजों दोनों को ही फायदा हो रहा है.

आर्टिफिशियन इंटेलिजेंस कैसे कर रहा काम

डॉ. दत्‍ता ने बताया कि एम्‍स की स्‍मार्ट लैब में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्‍तेमाल टेस्‍ट रिपोर्ट्स के रिजल्‍ट बनाने के लिए होता है. यह शुरुआती स्‍तर है. इसके लिए रूल बेस्‍ड एलगोरिद्म डेवलप किया गया है. जिसके चलते 40 से 50 फीसदी रिपोर्ट्स ऑटो वेलिडेट हो जाती हैं. इन्‍हें एक्‍सपर्ट को मैनुअली रिव्‍यू नहीं करना पड़ता. ये सभी कम क्रिटिकल या नॉन क्रिटिकल रिपोर्ट्स होती हैं, वहीं अगर कोई क्रिटिकल रिपोर्ट आती है तो उसे डॉक्‍टर रिव्‍यू करते हैं. इसकी जानकारी रूल बेस्‍ट एलगोरिद्म के माध्‍यम से मिल जाती है.

क्‍या है फायदा?

डॉ. दत्‍ता कहते हैं कि सभी सैंपल ऑटोमेटिक सिस्‍टम से गुजरते हैं. इनमें से करीब 50 फीसदी रिपोर्ट्स पर डॉक्‍टरों को मैनुअली नहीं लगना पड़ता. इसकी वजह से डॉक्‍टरों पर वर्क लोड कम हो रहा है. साथ ही इससे समय की भी थोड़ी बचत तो है ही एक्‍सपर्ट डॉक्‍टर्स को जरूरी कामों में लगाना संभव हो रहा है. इसका फायदा अल्‍टीमेटली मरीजों को भी है. आने वाले समय में टेस्‍ट रिपोर्ट्स की संख्‍या और भी बढ़ सकती है.