चंडीगढ़. पंजाब में अकाली दल ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी में भी गठबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ की ओर से चंडीगढ़ में बुलाई गई कोर ग्रुप की बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर विचार-विमर्श हुआ।

बैठक में प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी, सह – प्रभारी डा. नरेंद्र रैना और प्रदेश के सभी महासचिव और उपाध्यक्ष भी बुलाए गए थे।

पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव – की तैयारियों, जिला व मंडल स्तर पर टीम – बनाने और बूथ स्तर तक मजबूती जैसे अन्य – मुद्दों पर चर्चा के बाद अकाली दल के साथ – भाजपा के गठबंधन के बारे सभी से राय मांगी गई। इसमें अधिकांश पार्टी नेताओं ने हिंदू- सिख एकता का हवाला देते हुए गठबंधन – करने पर हामी भरी। हालांकि उनका साथ में तर्क था कि यदि अकाली दल के साथ समझौता होता है, तो अब भाजपा कोटे की लोकसभा और विधानसभा सीटें बढ़ाने पर भी बात होनी चाहिए। बैठक में कुछ नेताओं ने फिलहाल अकाली दल से दूरी बनाए रखने की बात भी कही। उनका तर्क था कि अकाली दल प्रदेश में अपनी साख गंवा चुका है और ऐसे किसी गठबंधन से ज्यादा फायदा अकाली दल को वही होगा।

इन नेताओं का कहना था कि पूर्व में अकाली दल ही इस गठबंधन से फायदे में रहा और भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर उनका दबदबा रहा। उनका कहना था कि पूर्व में गठबंधन स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और स्व. प्रकाश सिंह बादल ने किया था, मगर अब हालात बदल चुके हैं। यदि गठबंधन में बराबरी पर अकाली दल मानता है, तभी इस दिशा में व आगे बढ़ना चाहिए। मालवा और माझा के न भाजपा नेता अकाली दल के साथ जाना चाहते न हैं, मगर रोपड़ जिले से खासकर इस के खिलाफ आवाज आई है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी ने बैठक में सभी के विचार जाने मगर न अपनी ओर से कोई राय नहीं रखी। प्रदेश में अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी नेताओं से कहा न कि गठबंधन किया जाएगा या नहीं, इसका फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ने लेना है मगर प्रदेश नेताओं की भावनाओं को उनके पास पहुंचा दिया जाएगा।