रायपुर. राजधानी रायपुर में आयोजित दलित साहित्य सम्मेलन के दूसरे दिन अंचल के नामी साहित्यकारों ने अपनी बात रखी. दूसरे दिन के प्रथम सत्र के प्रारंभ में अस्मिता विमर्श के सचिव शेखर नाग नें जीवन यदु का मशहूर जनगीत जब तक रोटी के प्रश्नों पर रखा रहेगा भारी पत्थर … पेश किया. इसके बाद सत्र में खैरागढ़ के कवि जीवन यदु नें चतुर्थ वर्ण का निर्माण और स्थायित्व विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किन साज़िशों के तहत चतुर्थ वर्ण का निर्माण किया गया और गहरी साज़िश के तहत उसे स्थायित्व प्रदान किया गया. चतुर्थ वर्ण को इसलिए स्थायित्व प्रदान किया गया कि तथाकथित उच्च जाति को स्थायी दास मिलता रहे. समाज का तथाकथित उच्च जाति के षड्यंत्र ने जाति के आधार पर लोगों में विभेद पैदा किया.

इसी सत्र में सर्वप्रथम दुर्ग के चर्चित कथाकार कैलाश बनवासी ने दलित चिंतन धारा और हिंदी गद्य विषय पर अपनी बात रखा. उन्होंने ने कहा कि दलितों की यातना का इतिहास बहुत लंबा है. उन्हें बहुत घृणित तरीके से प्रताड़ित किया जाता रहा है, लेकिन दलितों के संघर्षों से जब दलितों ने स्कूलों में शिक्षा हेतु प्रवेश का अधिकार प्राप्त किया तो दलितों के संघर्षों को और बल मिला. ज्योतिबा फुले और अम्बेडकर के प्रयासो से दलितों को और हक़ अधिकार प्राप्त हुए. किंतु आज जातिवादी शक्तियां आज उन अधिकारों को छिनने में आमादा है एवं कुछ हद तक सफल भी हो रहे हैं. दूसरी तरफ़ दलितों का संघर्ष जातिवादी शक्तियों को कड़ी चुनौती पेश कर रहा है और दलितों के बीच आशा का संचार भी कर रहा है.

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आज के दूसरे सत्र में मुम्बई से आये वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी सुबोध मोरे ने अन्ना भाऊ साठे के कलाकर्म पर विस्तार से अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि किस तरह अन्ना भाऊ साठे नें एक भी दिन स्कूल न के जाने के बावजूद 37 उपन्यास की रच कर डाला. अन्ना भाऊ साठे किस प्रकार मजदूर आंदोलन से प्रेरित होकर मजदूर आंदोलन से जुड़ जाते हैं और आजीवन मजदूर आंदोलन और कम्युनिस्ट पार्टी जुड़े रहते हैं. अन्ना भाऊ साठे जितने लोकप्रिय भारत मे थे उतने लोकप्रिय रूस में भी थे. अन्ना भाऊ मजदूर आंदोलन के साथ सांस्कृतिक आंदोलन से भी लगातार जुड़े रहे. उनकी प्रेरणाओं से बहुत सारे साहित्यकार प्रेरित होकर साहित्य के क्षेत्र में आये और जनवादी साहित्य की रचना की. आज की नई पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत हैं अन्ना भाऊ. आज अन्ना भाऊ की नए संदर्भों से व्याख्या हो रही है. अन्ना भाऊ का साहित्य और कार्य हमे हमेशा प्रेरित करता रहेगा और हमे शक्ति देता रहेगा. अंत में काव्यपाठ हुआ. जिसमें जीवन यदु, कपूर वासनिक, और संकल्प पाहाटिया नें काव्य पाठ किया.

जीवन यदु-

ज़ेबों में पत्थर रखने का हम पर है इल्ज़ाम
शीशे की बस्ती में हम तो होंगे ही बदनाम…….

चढ़ जा चढ़ जा मोर भैया नौकरी के रेल
नौकरी के रेल नई त जिनगी हे फेल…..

तोर कस नई देखेंव दगाबाज रे
चिट्को नई आये तोला लाज रे.

संकल्प पाहाटिया-

चिड़िया उड़ती है ऊंचे आकाश में
ऊंचे से ऊंचे बहुत ऊंचे तक
और लौट आती है फिर से धरती पर
ठीक ऐसे ही लौट आता हूं तुम्हारे पास
फिर से उड़ने के लिए.

कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथि साहित्यकारों को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया. सम्मेलन में शहर प्रबुद्ध जन उपस्थित हुए. जिनमे प्रमुख हैं इप्टा रायपुर के अध्यक्ष मिन्हाज असद, वरिष्ठ कवि आलोक वर्मा, हिंदी साहित्य सम्मेलन के राजेन्द्र चांडक, युवा संजय शाम, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता यूजी शंभरकर, कैलाशिया, विश्रांति घोड़ेस्वार, रचनी घरडे, अर्चना बौद्ध, टीना ढाबरे, संजय पटेल और शहर के गणमान्य नागरिक हैं. अंत में आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष शशांक ढाबरे ने किया.

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