वैसे तो कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई राज्यों में स्कूल स्तर तक निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ शायद देश में अकेला राज्य है जहां कॉलेज स्तर तक छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. इससे आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी बड़ी तेजी से बढ़ी है. गरीबी और आर्थिक तंगी के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाने वाले छात्रों को रमन सरकार ने बड़ी सौगात दी, और जो छात्राएं कॉलेजों में पढ़ने, मेडिकल, इंजनीयिरंग की शिक्षा लेने का सपना देखते उनके सपने को साकार किया.
सन् 2014 ये वो वर्ष थे जब रमन सरकार ने कॉलेज स्तर तक लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा देने का ऐलान किया था। घोषणा के कुछ माह बाद नए शिक्षण सत्र 2015 से निःशुल्क शिक्षा देने की शुरुआत भी हो गई. आज प्रदेश की लड़कियों को स्नातक स्तर तक की शिक्षा निःशुल्क दी जा रही है। लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. दरअसल एक एक वो वक्त भी था जब सूबे की गिनती देश के सबसे पिछड़े राज्यों में हुआ करती थी. राज्य पिछड़ा होने की वजह से यहां के लोगों की आमदनी भी बेहद कम थी. एक बड़ा तबका खेती किसानी का काम करता था. उस दौरान बड़ी संख्या में प्रदेश की लड़कियां बीच में ही पढ़ाई छोड़ दिया करती थीं. पढ़ाई छोड़ने की वजह परिवार की आर्थिक तंगी ही सामने आती थी. आर्थिक तंगी के अलावा कई क्षेत्रों में जागरुकता की भी कमी थी. लिहाजा सरकार इसे लेकर बेहद चिंतित थी. सरकार ने इस दिशा में बड़े कदम उठाए जाने की जरुरत महसूस की. जिसके तहत गांव-गांव में माता-पिता को जागरुक करने का अभियान चलाया गया. उन्हें कन्या शिक्षा की महत्वता के बारे में बताया गया. सरकार की तरफ से युद्ध स्तर पर शहरों के साथ ही गांव-गांव में वाल राईटिंग भी कराई गई. सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा भी दिया. लेकिन सरकार सिर्फ नारे तक सीमित रह गई ऐसा भी नहीं था बल्कि सरकार ने कन्या शिक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया और बेटियों की शिक्षा को स्नातक स्तर तक निशुल्क कर दिया.
इतना ही नहीं इसका लाभ पॉलीटेक्निक-बीई और मेडिकल की पढ़ाई में प्रवेश प्राप्त करने वाली छात्राओं को भी मिल रहा है. सरकार के इस निर्णय का फायदा उन गरीब छात्राओं को विशेष रूप से मिल रहा है, जो कि आर्थिक विपन्नता के चलते अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती थीं या परिस्थितिवश उन्हें बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ती थी। वास्तव में आज लड़कियों को शिक्षा देने के लिए रमन सरकार की यह घोषणा कारगर बन गई है। राज्य में बड़ी तेजी से लड़कियों की भागीदारी देखने को मिली है। सरकार द्वारा कन्या -शिक्षा को बढ़ा देने के उद्देश्य से विशेष ध्यान दिए जाने के परिणामस्वरूप राज्य में अब तक इक्कीस कन्या महाविद्यालय अस्तित्व में आ चुके है। जब अलग राज्य छत्तीसगढ़ बना तब महज 15 शासकीय कन्या महाविद्यालय थे. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात ही उच्च शिक्षा विभाग इस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील रहा है कि उच्च शिक्षा प्रदेश के युवाओं के लिए सर्वसुलभ हो, इस हेतु राज्य के सुदूर अंचलों में भी नवीन महाविद्यालय की स्थापना के साथ-साथ लड़कियों को प्रेरित भी किया गया.
अब एक नजर लड़कियों के लिए सरकार की ओर से उच्च शिक्षा स्तर पर दी जा रही सौगातें और किए जा रहे प्रयासों पर-
- वर्तमान में 21 शासकीय कन्या महाविद्यालय है, जबकि 2000 में यह संख्या महज 15 ही थी.
- राज्य में लड़कियों के लिए अलग से 4 शासकीय कन्या पालीटेक्निक कॉलेज है.
- इसके साथ उच्च शिक्षा विभाग की ओर से मिली इन सौगातों की वजह से आज लड़कियों की संख्या स्कूलों के साथ कॉलेज तक में लगातार बढ़ रही है-
- वर्ष 2008 में दो विश्वविद्यालय बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर और सरगुजा विश्वविद्यालय, अम्बिकापुर की स्थापना.
- 2015 में दुर्ग और बिलासपुर विश्वविद्यालय की स्थापना.
- दूरस्थ शिक्षा पद्धति से शिक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 2005 में पं. सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर.
- जन संचार माध्यमों की बढ़ती महत्ता और इस क्षेत्र में सुशिक्षा की दृष्टि से कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर.
- राज्य के 100 महाविद्यालयों में ई-लाईब्रेरी हेतु पायलट परियोजना.
- राज्य में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए 2006 में छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी की स्थापना.
- 2000 कुल 03 विश्वविद्यालये 116 शासकीय महाविद्यालय थे.
- वर्तमान में कुल 8 राज्यकीय विश्वविद्यालय एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है.
- शासकीय कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या 2 लाख से ज्यादा है,
जबकि शिक्षण सत्र 2003-2004 में उच्च शिक्षा में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या 65 हजार 683 थी. - शिक्षा सत्र 2018-19 से 35 शासकीय कॉलेजों में 14 विभिन्न विषयों में नये पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. इसके लिए 1 हजार 9 सौ 35 सीटें भी मंजूर किए गए हैं.
- 30 नए शासकीय महाविद्यालय खोले जा रहे हैं.
- केन्द्र से छत्तीसगढ़ को उच्च शिक्षा सुविधाओं के लिए 1 सौ 24 करोड़ मंजूर किया गया.
- प्रदेश में बनेंगे सात नये मॉडल कॉलेज, पांच कॉलेजों में अधोसंरचना विकास और पांच कॉलेजों में भवन निर्माण के लिए केन्द्रीय सहायता.
- उच्च शिक्षा पाने वाले 2 लाख विद्यार्थियों को मिला बी.पी.एल. छात्रवृत्ति का लाभ.
सरकार के इन कदमों ने सूबे में एक क्रांति सी ला दी और जिन इलाकों में स्कूल छोड़ने या नहीं पढ़ाने के आंकड़े ज्यादा थे उन इलाकों में भी लोग बेटियों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजने लगे. छत्तीसगढ़ ही नहीं वैसे तो कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई राज्यों में स्कूल स्तर तक निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ शायद देश में अकेला राज्य है जहां कॉलेज स्तर तक छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. इससे आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी बड़ी तेजी से बढ़ी है. गरीबी और आर्थिक तंगी के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाने वाले छात्रों को रमन सरकार ने बड़ी सौगात दी है और जो छात्राएं कॉलेजों में पढ़ने, मेडिकल, इंजनीयरिंग की शिक्षा लेने का सपना देखते उनके सपने को साकार किया. सच कहे तो बेटियों की शिक्षा को लेकर चिंतित रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर मां-बाप की पीड़ा को रमन सरकार ने हरते हुए ऐसी सौगात दी कि आज हर बेटी स्कूल जा रही है, कॉलेज में उच्च शिक्षा ले रही है. सरकार ने जैसा कहा था वैसा किया भी. मतलब बेटियों को पढ़ाने उन्हें आगे बढ़ाने का वादा पूरा किया. उन्हें सम्मान दे उनका मान बढ़ाया है.
स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक निःशुल्क शिक्षा का असर ये है कि आज प्रदेश की बेटियां उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े-बड़े संस्थानों और विदेशों तक में प्रदेश की मान बढ़ा रही हैं. ये बेटियां न सिर्फ अपना परिवार चला रही हैं, बल्कि अब कई लड़कियां पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. वे उन क्षेत्रों में भी पहुंचकर अपना लोहा मनवा रही हैं जहां पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था. वहीं-बड़ी संख्या में बेटियों ने प्रदेश में खुद के रोजगार-व्यापार स्थापित कर ली हैं. अब ये बेटियां खुद के अलावा कई लोगों को भी रोजगार दे रही हैं. इन्होंने अपनी इस तरक्की के लिए सरकार को धन्यवाद दिया. उनका कहना है कि सरकार द्वारा बेटियों की शिक्षा के लिए उठाए गए कदम की वजह से ही वो आज कामयाबी के शिखर पर पहुंची हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने छत्तीसगढ़ के विकास में जिस प्राथमिकता से बालिका शिक्षा को और कॉलेज स्तर निःशुल्क शिक्षा को रखा है , आज उससे छत्तीसगढ़ की बेटियाँ उच्च शिक्षित होकर प्रदेश को गौरवांवित कर रही हैं. कन्या निःशुल्क शिक्षा आर्थिक कमजोरी में पढ़ाई छोड़ने वाली बेटियों को लेकर वरदान साबित हो रही है. खास तौर पर उन बेटियों के लिए जो मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए सोचती थी. रमन सरकार की ओर से लड़िकयों को दी गई इस सौगात के लिए यही कह सकते हैं-
पढ़त बेटी…आघु बढ़त बेटी…छत्तीसगढ़ मा विकास गढ़त बेटी.