नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना के पायलट अभिनंदन को पकड़ने के बाद भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के घबराने की वजह आखिरकार सामने आ गई है. पाकिस्तान में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया के मुताबिक, भारत ने अपने नौ मिसाइलों का रुख पाकिस्तान की ओर कर दिया था, जो कैप्टन अभिनंदन को तत्काल नहीं छोड़े जाने पर कभी भी चल सकती थीं. इसी डर ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को दूसरे दिन ही कैप्टन अभिनंदन को छोड़ने पर मजबूर कर दिया. इसे भी पढ़ें : राज्यसभा चुनाव के लिए आप ने सांसद संजय सिंह को किया रिपीट…

पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने पूरे घटनाक्रम का जिक्र अपनी किताब ‘एंगर मैनेजमेंट’ में किया है. अजय बिसारिया कहते हैं कि यह एक चंचल शीर्षक है. मैंने पाया कि इस (भारत-पाकिस्तान) रिश्ते में गुस्सा एक महत्वपूर्ण मूल भाव है. पिछले 76 वर्षों में विभाजन, युद्ध, आतंकवाद पर गुस्सा रहा है, इसलिए रिश्ते में वास्तविक, उचित-अनुचित जो भी कह लें, बहुत गुस्सा है, और नीति के संदर्भ में इस तर्क पर काफी चर्चा होती है कि आप इस मुद्दे को शांति और स्थायी रूप से हल नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप इसे कूटनीति और अन्य तरीकों से मैनेज कर सकते हैं. मुझे लगता है कि पूरा विचार इन दो विचारों ‘एंगर’ और ‘मैनेजमेंट’ को एक साथ रखने का है, जिसकी वजह से इसे ‘एंगर मैनेजमेंट’ कहा…

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बिसारिया बताते हैं कि पुलवामा के बाद, भारत ने बालाकोट में कार्रवाई की थी, और उसके बाद पाकिस्तान का ऑपरेशन हुआ, जिस पर भारत ने तेजी से जवाब दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक भारतीय पायलट अभिनंदन को पकड़ लिया गया. मैंने (किताब में) पायलट को वापस लाने के लिए उसके बाद हुई जबरदस्त कूटनीति का विवरण प्रस्तुत करने की कोशिश की है. बल प्रयोग और नौ मिसाइलों का उपयोग पाकिस्तान के लिए एक बहुत ही विश्वसनीय खतरा था.

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पाकिस्तान ने पायलट को वापस देने का विकल्प चुना, क्योंकि वह संघर्ष को बढ़ाना नहीं चाहता था. स्थिति को संभालने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करने का प्रयास किया. तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को निर्णय लेने के लिए बाध्य महसूस किया गया क्योंकि स्थिति को खराब न करने के लिए पायलट को वापस लौटाने के लिए बल की धमकी बहुत विश्वसनीय थी.

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अजय बिसारिया कहते हैं कि यदि आप आज पीछे मुड़कर देखें, तो निश्चित रूप से 2008 में, भारत को यह जवाब देना चाहिए था जो उसने अंततः 2016 और 2019 में सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों के साथ दिया. मुझे लगता है कि 1980 के दशक में पंजाब में भारत को जो आतंकवाद और दर्द सहना पड़ा था, उसे कम किया जा सकता था. यदि भारत ने 90 के दशक की शुरुआत में कड़ी कार्रवाई की होती. कश्मीर में भारत को जो पीड़ा झेलनी पड़ी, उसे कम किया जा सकता था यदि पाकिस्तान को यह बात बता दी जाती कि भारत इनमें से किसी भी राज्य में हस्तक्षेप के जवाब में कठोर बल का प्रयोग करेगा.

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उन्होंने कहा कि भारत को आखिरकार आतंकवाद के खिलाफ एक जवाब मिल गया है , क्योंकि अब पाकिस्तान भी जानता है कि उसने अपने सुरक्षा प्रतिमानों में प्रवेश कर लिया है कि आतंकवाद के किसी भी कृत्य पर कड़ी प्रतिक्रिया होगी, चाहे वह राज्य अभिनेताओं द्वारा या गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा किया जाए, और इसलिए, उसे पता होगा कि ऐसे किसी भी कृत्य की कीमत चुकानी होगी। व्यवहार और इसलिए यह उस व्यवहार को संशोधित करेगा…”