पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. सरकार 2022 तक प्रदेश के किसानों की आय दोगुना करने का दावा कर रही है, मगर गरियाबंद जिले के किसान घाटे के आंसू बहाने को मजबूर है. पुल के ऊपर खड़े होकर नाले में दूध बहाते ये गरियाबंद जिले के दुग्ध उत्पादक किसान है, जो दुध नहीं बिकने और उसका सही दाम नहीं मिलने से खफा है अब इन किसानों के पास अपना दूध नाले में बहाने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा है. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब गरियाबंद के दुग्ध उत्पादक किसानों ने अपना दूध पानी में बहाया हो, बल्कि इससे पहले भी किसान छह माह में दो बार अपना दूध पानी में बहाकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके है. जिले के हजारों दुग्ध उत्पादक किसान पिछले कई महीने से घाटे में चल रहे हैं.
किसानों के मुताबिक वे अपना दूध देवभोग दूध नाम की एक अर्धशासकीय कंपनी को ठेकेदार के माध्यम से बेचते है. ठेकेदार अपना मुनाफा कमाने के लिए उनसे अपनी नियम शर्तो पर दूध खरीदी करते है. किसानों का आरोप है कि वे ठेकेदार को सही दूध बेचते है मगर ठेकेदार अपनी मनमर्जी चलाते हुए किसी भी दिन उनसे खरीदे हुए दुध को एक दिन बाद गुणवत्ताविहीन बताकर वापिस लौटा देता है. जिससे उनको भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
किसानों ने समस्या से निपटने के लिए दुग्ध कंपनी के अधिकारियों से भी बात करने की कोशिश की मगर कंपनी के अधिकारियों ने उनको कोई तव्वजो नहीं दी. उलटा ठेकेदार भी इस मामले में किसानों को ही गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं.
जब प्रदेश में 20 रुपये लीटर पानी की बोतलें बिक रही हो और किसानों को अपना दूध 22 रुपये लीटर में बेचना पड़ रहा हो तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों को कितना नुकसान झेलना पड़ रहा होगा, ऐसे में सरकार 2022 तक किसानों की आय कैसे दोगुना कर पायेगी इस पर सवाल उठना लाजमी है.
देखिए वीडियो…
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