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रायपुर। गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ की झांकी के तौर पर ‘मुरिया दरबार’ को प्रदर्शित किया जाएगा. झांकी का हिस्सा बनने वाली बालिकाओं से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चर्चा करने के साथ अच्छे प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दी. इसे भी पढ़ें : बंगाल के पुरुलिया में साधुओं पर भीड़ ने किया हमला, पुलिस ने 12 लोगों को किया गिरफ्तार, भाजपा ने टीएमसी पर बोला हमला…
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दिल्ली जा रही बच्चियों से वर्चुअल चर्चा में कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रत्येक प्रदेश की झांकी दिल्ली में निकलती है. छत्तीसगढ़ से इस बार आप मुरिया दरबार की झांकी लेकर दिल्ली जा रहे हैं. एक बड़ी जिम्मेदारी आप लोगों के कंधों पर है. पूरे छत्तीसगढ़ का मान-सम्मान आपके हाथों में है. हम चाहेंगे कि बहुत अच्छे से झांकी वहां प्रस्तुत हो.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मुरिया दरबार हम लोगों की आदिवासी संस्कृति का हिस्सा रहा है, उसे आप अच्छे तरीके से प्रस्तुत करेंगे, ऐसी उम्मीद है. इसके साथ आप महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे. इस अवसल पर आयोजन में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रही बच्चियों ने मुख्यमंत्री से पुरस्कार जीतकर लाने का वादा किया.
जनसंपर्क विभाग के आयुक्त मयंक श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री साय को अवगत कराया कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ राज्य की झांकी भारत सरकार द्वारा प्रदत्त थीम भारत लोकतंत्र की जननी पर आधारित है. छत्तीसगढ़ की झांकी बस्तर की आदिम जनसंसद मुरिया दरबार जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है, जो आजादी के 75 साल बाद भी राज्य के बस्तर संभाग में जीवंत और प्रचलित है.
मुरिया दरबार बना बस्तर दशहरा का हिस्सा
बस्तर में मुरिया दरबार की शुरुआत 8 मार्च, 1876 को हुई थी, जिसमें सिरोंचा के डिप्टी कमिश्नर मेक जार्ज ने मांझी- चालकियों को संबोधित किया था. बाद में लोगों की सुविधा के अनुरूप इसे बस्तर दशहरा का अभिन्न अंग बनाया गया, जो परंपरानुसार 145 साल से जारी है.
मुरिया दरबार में पहले राजा और रियासत के अधिकारी कर्मचारी मांझियों की बातें सुना करते थे, और तत्कालीन प्रशासन से उन्हें हल कराने की पहल होती थी. आज़ादी के बाद मुरिया दरबार का स्वरूप बदल गया. 1947 के बाद राजा के साथ जनप्रतिनिधि भी इसमें शामिल होने लगे.
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1965 के पूर्व बस्तर महाराजा स्व. प्रवीर चंद्र भंजदेव दरबार की अध्यक्षता करते रहे. उनके निधन के बाद राज परिवार के सदस्यों मुरिया दरबार में आना बंद कर दिया था. वर्ष 2015 से राज परिवार के कमलचंद्र भंजदेव इस दरबार में शामिल हो रहे हैं.
बस्तर के मुरिया दरबार में अब बस्तर संभाग के निर्वाचित जन-प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहते हैं. वे ग्रामीणों से आवेदन लेते हैं. मांझी, चालकी और मेंबर-मेंबरीन इनके सामने ही अपनी समस्या रखते हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी 2009 -10 से लगभग हर मुरिया दरबार में शामिल हो रहे हैं.
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