नई दिल्ली . दिल्ली एम्स मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए देशभर में मौजूद अन्य एम्स के साथ रेफर नीति बनाने पर काम कर रहा है. इसके तहत दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों को दिल्ली एम्स में परामर्श के लिए अपने नजदीकी एम्स से रेफर लिखवाना होगा. इसके बाद ही उनका इलाज यहां किया जाएगा.
एम्स के अधिकारियों ने रेफर नीति बनाने पर शुक्रवार को चर्चा की है. इसमें तय हुआ कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले डॉक्टर रेफर मॉड्यूल के जरिए दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के साथ मरीज की रिपोर्ट साझा करेंगे. अगर दिल्ली एम्स के डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को उनके अस्पताल में भेजने की जरूरत है तो वे उसे रेफर नीति के जरिए बुला सकेंगे.
जल्द लागू होने की उम्मीद साथ ही मरीज के स्थिर होने पर बीमारी के फॉलोअप के लिए उसे उसी के राज्य के एम्स में वापस भेज दिया जाएगा. इसके लिए एक डेशबर्ड भी तैयार किया जाएगा, जहां सभी एम्स के डॉक्टर आपस में खाली बिस्तरों की जानकारी साझा करेंगे. एम्स के सूत्रों का कहना है कि रेफर नीति बनाने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी हैं. बहुत जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा.
30 से 40 फीसदी मरीज आते हैं अन्य राज्यों से दिल्ली एम्स की ओपीडी में हर रोज 15 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसके अलावा इमरजेंसी में भी प्रतिदिन 1200 लोग उपचार के लिए आते हैं. वहीं, प्रतिदिन 900 से अधिक मरीज भर्ती किए जाते हैं. इससे अन्य मरीजों को इलाज और जांच की लंबी तारीखें देनी पड़ती हैं. वहीं, दिल्ली एम्स में आने वाले 30 से 40 फीसदी मरीज उन राज्यों से आते हैं जहां पहले से ही एम्स मौजूद है. कई ऐसी बीमारियां जिन्हें वहीं पर उपचार देकर ठीक किया जा सकता है, उनके लिए भी मरीज राजधानी का रुख करते हैं.
अस्पतालों में भटकने को मजबूर मरीज
दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों को परेशानी से बचाने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर करने की बेहतर नीति बनाने के लिए एम्स के निदेशक ने डेढ़ साल पहले राजधानी के 14 सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों को बैठक के लिए बुलाया था. इसका मकसद सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर एक रेफरल सिस्टम विकसित करना था. लेकिन अभी भी सही रेफर नीति न होने की वजह से मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों में भटकने को मजबूर हैं. एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के सामने इसे लागू करने की अपील की है लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है.
आभा आईडी से मिलेगी बड़ी मदद
एम्स से मिली जानकारी के मुताबिक एम्स दिल्ली आभा आईडी पर इलाज की सभी जानकारी उपलब्ध करवा रहा है. इनकी मदद से देश के किसी भी अस्पताल में मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देख सकेगा. सूत्रों का कहना है कि आभा की मदद से मरीज की रिपोर्ट दूसरे एम्स में भी देखी जा सकेगी. ऐसे में रिपोर्ट व मेडिकल हिस्ट्री के लिए मरीज को एम्स दिल्ली पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी. इसमें देश के दूसरे राज्यों में काम करने वाले डॉक्टर एम्स दिल्ली के साथ तैयार हो रहे रेफर मॉड्यूल के जरिए दिल्ली एम्स के डॉक्टरों के साथ मरीज की रिपोर्ट साझा कर सकेंगे. अगर दिल्ली एम्स के डॉक्टर को लगता है कि मरीज को उनके अस्पताल में भेजने की जरूरत है तो वे उसे रेफर मॉड्यूल के जरिए ही बुलवा सकेंगे.
अभी मिलती है लंबी तारीख
एम्स में इलाज करवाने आ रहे मरीजों की भीड़ के कारण मरीजों को दो से तीन साल लंबी की तारीख दी जाती है. ऐसे में एम्स दिल्ली की कोशिश है कि यदि कोई गंभीर मरीज भी दिल्ली आता है तो उसे स्थिर कर उसके राज्य के एम्स में भेज दिया जाए. साथ ही फॉलोअप के लिए उसी राज्य के एम्स में बुलाया जाए. इससे दिल्ली एम्स में आने वाले मरीजों का बोझ घटेगा. अन्य मरीजों की वेटिंग कम हो सकती है.