पुष्पेंद्र सिंह,दंतेवाड़ा। मां दंतेश्वरी कॉरिडोर निर्माण में भ्रष्टाचार के विवादों के बीच भाजपा नेताओं ने अपना रुख साफ कर दिया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और जगदलपुर विधायक किरणदेव ने दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान मां दंतेश्वरी परिसर में चल रहे निर्माण कार्य को आध्यात्मिक कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की बात कही. Read More – मंदिर में डिप्टी CM विजय शर्मा ने की साफ-सफाई, श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर-घर दीपक जलाने की अपील

इधर दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी ने पूरे निर्माण पर अपनी बात रखी है. उन्होंने साफ कहा कि मां दंतेश्वरी बस्तर के आदिवासियों का आस्था का केंद्र है. यहां बस्तर के हजारों देवी-देवता शामिल होते हैं. सही मायने में मां का दरबार बस्तर के देवी-देवताओं के लिए देव कोठार या डेरा (आध्यात्मिक स्थल) है. विधायक चैतराम ने कहा, यहां चल रहे निर्माण कार्यों में क्या हुआ कुछ पता नहीं, कांग्रेस सरकार का मामला है. इसके लिए जांच कमेटी बनाई गई है, वह जांच कर रही है. यदि भ्रष्टाचार हुआ है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई तय होगी. जो भी शामिल होगा कतई बख्शा नहीं जाएगा. ये सुशासन की सरकार है, भ्रष्टाचार के लिए जगह नहीं है.

चैतराम अटामी ने कहा कि, शक्तिपीठों में शुमार आराध्य देवी मां दंतेश्वरी में चल रहे निर्माण कार्य को आध्यात्मिक कॉरिडोर के रूप में अब विकसित किया जाएगा. जिला प्रशासन और नगर प्रशासन से बात कर प्रारूप तैयार करने के लिए बोला है. मां दंतेश्वरी आध्यात्मिक कॉरिडोर भव्य और बेहतर बनेगा. मां आस्था का केंद्र है, यहां राजनीति हावी नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने कहा, इतना बड़ा देव-कोठार देश में कही नहीं है. मां के दरबार में आंध्रा, ओडिशा तक के देवी-देवता दस्तक देते हैं. बस्तर के हजारों गांव के देवी-देवता शामिल होते हैं. माई दंतेश्वरी की ख्याति देश दुनिया में फैली है. जहां आस्था और मनोकामना के हजारों दीप प्रज्ज्वलित होते हैं, उस आध्यात्मिक कॉरिडोर को भव्य बनाया जाएगा.

नगर पालिका उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि, मां के दरबार को बेहतर करने के लिए नगर प्रशासन से जो भी संभव मदद होगी, वो दी जाएगी. नगर के बीचों-बीच मां दंतेश्वरी के नाम से ही छह एकड़ से अधिक जमीन है. वह बस्तर अंचल से आने वाले ग्रामीणों के लिए बहुत है. यहां निर्माण करवाया जाए और देवी-देवताओं के लिए डेरा तैयार होगा. जिला प्रशासन की मदद से यह सब करवाया जाएगा. इस जमीन को डेरा के लिए देना टेंपल कमेटी को भी कोई ऐतराज नहीं होगा.

आंध्रा-ओडिशा और पूरे बस्तर से आते हैं देवी-देवताओं के छत्र

बता दें कि, आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के दरबार में आंध्रा-ओडिशा और पूरे बस्तर से देवी-देवता के छत्र आते हैं. उनके छत्र नौरात्रि में शामिल होते है. एक छत्र के साथ 7 सदस्य आते हैं. अभी जो निर्माण कार्य चल रहा है, उसमें डेरा निर्माण पर भी बड़ा जोर दिया जा रहा है. देवी-देवताओं के साथ करीब सात हजार लोग आते हैं.

मां दंतेश्वरी के प्रधान पुजारी हरेंंद्र नाथ जिया बताते हैं कि, मां दंतेश्वरी के नाम बहुत जमीन है. शहर के बीच में करीब 8 एकड़ जमीन है. प्रशासन को डेरा बनाने का प्रस्ताव उसी जमीन पर रखा गया है. ये सच है बस्तर वासियों के लिए ये बस्तर का आध्यात्मिक कॉरीडोर है. यहां आंध्रा ओडिशा से भी देवी-देवताओं के छत्र आते हैं. वे सदियों से यहां शामिल हो रहे हैं. बहुत प्राचीन प्रथा है. इन देवी-देवताओं के ठहराने के लिए जल्द डेरा का निर्माण होना चाहिए. साथ ही पार्किंग की व्यवस्था जरूरी है. लाखों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. उस दौरान पार्किग बड़ी समस्या बनती है. पार्किंग के लिए भी जगह को चिन्हांकित किया गया है.

माई की 6 एकड़ जमीन में बनेगा डेरा

दंतेवाड़ा शहर के बीच 6 एकड़ जमीन में देवी-देवताओं के ठहराने की व्यवस्था की जा रही है. इस जमीन को जिला प्रशासन ने चिन्हांकित कर दिया है. इतना ही नहीं इस जमीन को माई दंतेश्वरी के नाम पट्टा भी हो चुका है. जिला प्रशासन बस्तर अंचल से आने वाले ग्रामीणों के लिए रुकने की उचित व्यवस्था करेगा. इसी जमीन पर निर्माण कार्य करवाने की प्लानिंग है. हालांकि अभी इसका ब्लू प्रिंट तैयार नहीं हुआ है. अधिकारी कह रहे हैं सर्व सुविधा युक्त निर्माण होगा. देवी-देवताओं को लाने वाले ग्रामीण और उनके साथ आने वाले लोगों को ठहराया जाएगा. यहां पांच हजार से अधिक लोगों की एक साथ रुकने की व्यवस्था होगी. बस्तर की परंपरा और संस्कृति को करीब से लोग देखेंगे. ऐतिहासिक फागुन मड़ई और नव रात्रि में भी किसी तरह की समस्याओं का सामना आने वाले ग्रामीणों को नहीं करना पड़ेगा.