प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंगापुर स्थित वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड और उसके द्वारा संचालित बिटकॉइन-आधारित कथित पोंजी स्कीम से अपराध की आय से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में दिल्ली के एक कारोबारी निखिल महाजन (39) को गिरफ्तार किया है. महाजन दिल्ली स्थित एक ईवेंट मैनेजमेंट फर्म चलाते हैं.

ईडी (ED)का अपराध की आय लगभग 6,606 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. ईडी सूत्रों के अनुसार, निखिल महाजन पर भुगतान के बदले निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दुबई में सेमिनार आयोजित करके कथित घोटाले के प्रचार-प्रसार में आरोपियों की मदद करने का आरोप है. सूत्रों ने कहा कि महाजन को दुबई, यूएई में सेमिनार आयोजित करने के लिए कथित तौर पर 40 बिटकॉइन में भुगतान प्राप्त हुआ.

ईडी सूत्रों ने कहा, ”निखिल महाजन, सह-आरोपी अजय भारद्वाज के साथ, अपराध की आय पर लगातार कब्जा कर रहे हैं और उसे छुपा रहे हैं. इस प्रकार, निखिल महाजन इस घोटाले की बड़ी साजिश में एक सक्रिय भागीदार हैं और उन्होंने अपराध की आय के अधिग्रहण में सक्रिय रूप से भाग लिया है और अपराध की आय का निरंतर आनंद ले रहे है.”

बिटकॉइन कानूनी मुद्रा नहीं हैं. मौजूदा रेट के मुताबिक, एक बिटकॉइन की कीमत करीब 35 लाख रुपये हो सकती है. महाजन को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था. बुधवार को मुंबई की एक विशेष अदालत ने उन्हें 25 जनवरी तक ईडी की हिरासत में भेज दिया.

ईडी के सूत्रों ने कहा कि अब तक की जांच के दौरान जुटाई गई सामग्री के आधार पर महाजन की अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया और गतिविधि में उसके छुपाने, कब्जे, अधिग्रहण और उपयोग सहित कथित संलिप्तता के लिए जांच की जानी चाहिए.

सूत्रों ने कहा कि ईडी महाजन से अपराध की आय के बारे में पूछताछ करेगी क्योंकि उनके इस बड़ी साजिश में कथित सक्रिय भागीदार के रूप में देखा जा रहा है.

ईडी (ED) ने वेरिएबल टेक, दिवंगत अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज, सिम्पी भारद्वाज, महेंद्र भारद्वाज और अन्य मल्टी लेवल मार्केटिंग एजेंटों के खिलाफ महाराष्ट्र और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज किए गए कई मामलों के आधार पर 2018 में पोंजी योजना की जांच शुरू की थी. केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, वेरिएबल टेक ने कथित तौर पर भोले-भाले निवेशकों को कंपनी द्वारा बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी के रूप में हाई रिटर्न (प्रति माह 10 प्रतिशत की दर से) का वादा करके लुभाया था.

सिंगापुर फर्म से जुड़े आरोपियों ने कथित तौर पर भोले-भाले निवेशकों से 80,000 बिटकॉइन (नवंबर 2017 में मूल्य 6,606 करोड़ रुपये) एकत्र किए. यह आरोप लगाया गया था कि हजारों निवेशकों ने अपनी जीवनभर की पूंजी को कंपनी की योजना में निवेश करने के लिए बिटकॉइन में बदल दिया और अपनी जीवन भर की कमाई खो दी.

ईडी सूत्र ने कहा, “ये बिटकॉइन और कुछ नहीं बल्कि अपराध की कमाई है, जिसे आरोपियों ने विभिन्न अस्पष्ट ऑनलाइन वॉलेट में छुपाया है और जिनका खुलासा नहीं किया जा रहा है. आरोपियों द्वारा इन बिटकॉइन को निवेशकों को वापस करने के बजाय, इन्हें छुपाया जा रहा है और इनका उपयोग किया जा रहा है.

इससे पहले ईडी ने इस मामले में पिछले साल 29 दिसंबर को दिल्ली के कारोबारी नितिन गौड को गिरफ्तार किया था. गौड अजय भारद्वाज के बहनोई हैं, जो महेंद्र भारद्वाज के साथ इस मामले में मुख्य आरोपी हैं और फरार हैं. अजय भारद्वाज की पत्नी सिम्पी को पिछले साल 17 दिसंबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था.