शिखिल व्यौहार, भोपाल. लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है. सभी राजनैतिक पार्टियों ने पूरे दमखम के साथ चुनावी तैयारियों में जुट गईं हैं. इसी बीच एक बार फिर EVM का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राजधानी भोपाल में आज EVM को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें EVM से जुड़े कई सवाल किए और लाइव डेमो के जरिए वोटिंग गड़बड़ी का आरोप लगाया. जिसमें दिखाया गया कि वोट किसी को दिया गया और गया किसी और को.
दिग्विजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 2003 में ईवीएम से चुनाव शुरू हुआ. तब कर्मचारियों के नाराजगी थी. बटन दबाओ, वोट कहां चला जाता है पता नहीं लगता. अधिकार लोगों का संवैधानिक है. आखिर उन्हें पता लगे कि वोट कहां जा रहा है. उन्होंने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी से लेकर कई नेताओं ने इस पर अविश्वास जताया था. चर्चा हुई तो वीवीपैट मशीन आई.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि बैलेट यूनिट की कोई चिप नहीं होती. केबल से सीधे कनेक्ट होता है. वीवीपैट मशीन में पार्टी का नाम और सिंबल नोट किया जाता है. जो सेंट्रल से सर्वर से होती है. पहले मशीन किस बूथ पर जायेगा, यह कलेक्टर तय करते हैं. सब सेंट्रल से होता है, प्राइवेट इंजीनियर के हवाले काम होता है. उन्होंने कहा कि कंट्रोल यूनिट प्री प्रोग्राम है. ईवीएम मशीन में चिप ही सर्वेसर्वा है. चिप साफ्टवेयर से चलती है. वीवीपैट का भरोसा दिलाने के लिए कंट्रोल यूनिट से प्रिंटर के पास जाना जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज विश्व में पांच देश ऐसे हैं. भारत, आस्ट्रेलिया, ब्राजील में मशीन से वोटिंग होती है. भारत में पब्लिक डोमेन में डाटा नहीं डाला जाता. जबकि आष्ट्रेलिया में होता है. मशीन के पार्ट भी अलग-अलग जगह से आते हैं. फिर असेंबल होता है. चिप वन टाइम प्रोग्रामिंग चिप है. अब उसे माल्टीपल प्रोग्रामिंग चिप हो गई है. हैकिंग हो सकती है, असेबल यूनिट से डाली जाती है.
दिग्वियज सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा, सॉफ्टवेयर कौन डालता है. कैसे होता है. इन प्रश्नों के जवाब नहीं है. सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी नहीं देते. तकनीति जानकारी नहीं दी जाती है. चुनाव आयोग को भी जानकारी नहीं है. यह सब खेल और काम प्राइवेट हाथों में है. साफ्टवेयर का काम है. साफ्टवेयर ही तय करेगा किसकी सरकार बनेगी. साफ्टवेयर डालने वाले के हाथ में पूरी वोटिंग है.
राज्यसभा सांसद ने कहा कि किस बूथ पर कौन सी मशीन जायेगी पर भी कंप्यूटर तय करता है. फिर वोट भी मन मुताबिक किसी पार्टी को दिया जा सकता है. वोटर कहीं वोट डालता है…जाता कहीं और है. क्या हमारे देश का भविष्य इन लोगों के हाथ में दिया जा सकता है. 7 सेकेंड के दिखाने से क्या होता है. उन्होंने कहा कि वीवीपैट मशीन भी जुगाड से लाई गई है.
EVM को लेकर दिग्विजय सिंह के साथ मौजूद विशेषज्ञ अतुल पटेल ने डेमो दिखाया. एप्पल, बनाना और तरबूज को सिंबल बनाया. जिसमें लाइव डेमो के जरिए वोटिंग गड़बड़ी बताया गया. जिसमें दिया किसी को वोट और गया किसी को. इस दौरान पटेल ने दावा किया कि मशीन के अंदर क्या होता है यह मतदाता को नहीं पता होता है. एक बार दिया वोट बार बार दिखाया या सकता है. सॉफ्टवेयर से होता कुछ और है. मैं गुजरात से हूं और इस जादू को पूरी दुनिया से वाकिफ कराऊंगा. जो वोटिंग में एक पार्टी उपयोग कर रही है.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि ईवीएम में वोट केबल दिखता है और बदल जाता है. ऐसा किया जा सकता है. ऐसा होता है ये मैं नहीं कह रहा. कई बार आप क्या मेरी पार्टी भी भरोसा नहीं करती. मुझे 2003 से अब तक सालों लग गए कि पार्टी को समझाने में इसमें गड़बड़ी है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है. चुनाव आयोग इस मामले में मिलने के लिए समय ही नहीं दे रहा है. पक्षताप करते हैं. ये मेरा आरोप है. चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है. हम 6 महीने से मिलने का समय मांग रहे हैं, किन चुनाव आयोग मिलने को तैयार नहीं है. अब सुप्रीम कोर्ट से ही आश है. प्रतिदिन सुनवाई हो..चुनाव आयोग गुमराह करेगा. नके पास भी खुद की टेक्निकल टीम नहीं है.
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