भारत में हर साल 25 जनवरी (25 January) को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस(National Tourism Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई सेमिनार (Seminar) के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम (Cultural Programme) और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कभी सोचा है कि 25 जनवरी को ही क्यों यह दिवस मनाया जाता है? या इसके पीछे क्या इतिहास हैं? तो यह पता लगाने के लिए इस आर्टिकल को पढ़िए और जानिए की इस दिन की खासियत

भारत में दो बार पर्यटन दिवस मनाए जाते है, एक राष्ट्रीय स्तर पर और दूसरा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन दिवस के रूप में। हालांकि भारत का पर्यटन दिवस 25 जनवरी को मनाया जाता हैं। वहीं विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मानता है।

इस दिवस को मानने का पीछे का कारण भारतीय संस्कृति और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देना है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा इस दिन की स्थापना की गई थी। वहीं केंद्र इस दिन कई सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ अन्य कार्यक्रम का आयोजन करता है। इसके साथ ही कई राज्य भी अपने क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं। पर्यटन दिवस के माध्यम से भारत की ऐतिहासिक संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ावा मिलता है।

भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में अलग-अलग बोलियां, भाषा, संस्कृति और परंपराएं हैं। कोई राज्य बर्फ की चादर ओढ़ा हुआ है तो कुछ राज्य हरी भरी वादियों के बीच पहाड़ों में स्थित हैं। कुछ ऐसे है जो मैदानी क्षेत्र, जंगलों और रेतीले मैदानों से घिरे हुए हैं। वहीं कुछ झीलों और झरनों से समृद्ध हैं। तो कुछ दक्षिण भारतीय राज्य समुद्र तटों पर भी बसे हुए हैं। पहाड़ों से लेकर समुद्री तटों पर स्थित इस जगहों पर कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो कि आप को धार्मिक व ऐतिहासिक का महत्व सिखाते है।

पर्यटक दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने गुरुवार यानी 25 जनवरी को दोपहर 3:00 बजे से शेर सपाटा पर फूड एंड क्राफ्ट मेला का आयोजन किया है। जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम में ‘रिस्पांसिबल टूरिज्म मिशन’ के 2 साल पूर्ण होने वाले है। इसे लेकर प्रदेश के 6 सांस्कृतिक क्षेत्र में विभिन्न महिलाओं हेतु सुरक्षित पर्यटक स्थल, परियोजना एवं अन्य परियोजनाओं के अंतर्गत प्रशिक्षित युवतियों द्वारा स्थानीय व्यंजनों तथा आर्ट एंड क्राफ्ट के स्टाल लगाए जाएंगे। जिसमें आप बुंदेलखंड, महाकौशल, चंबल, निमाड़ एवं मालवा क्षेत्र के पारंपरिक व्यंजनों का लुफ्त उठा सकते हैं। इसके साथ ही आर्ट एंड क्राफ्ट स्टॉल पर प्रदेश के हस्तशिल्प उत्पादन भी कर सकते हैं।

एमपी की इन जगहों पर पर्यटकों की लगती है भीड़

  • मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो अपनी संस्कृति और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से पर्यटक घूमने आते है। यहां की कामुक मूर्तियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध खजुराहो की खूबसूरत चित्रकारी पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। शहर में स्मारकों का एक समूह शामिल है। जो किसी जमाने में हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा स्थल थे। ये मंदिर प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित हैं। ये यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का हिस्सा होने के साथ भारतीय ऐतिहासिक वास्तुकला का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
  • मध्य प्रदेश का ओरछा निवाड़ी जिले में स्थित एक विचित्र शहर है। यह शहर 1502 में राजपूत शासक रुद्र प्रताप सिंह ने स्थापित किया गया था। यह पूर्व रियासत अब एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है। जो दुनिया भर के यात्रियों को आकर्षित करता है। यह स्थल ऐसा है जहां पहुंचना काफी आसान है। यहां आप आसानी से सड़क मार्ग और रेलवे द्वारा पहुंच सकते है।
  • मध्य प्रदेश में मपेंच राष्ट्रीय उद्यान एक महत्वपूर्ण बाघ अभयारण्य है। जिसे सन 1975 में स्थापित किया गया था और इसने 250 वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र को कवर किया गया था। यहां पेंच नदी पार्क से होकर बहती है और जिसकी वजह से पेंच राष्ट्रीय उद्यान का नाम देती है। पार्क में शुष्क पर्णपाती जंगलों का एक समृद्ध संग्रह देखने को मिलता हैं। जिसमें बाघ, हिरण और पक्षी जैसे कई जानवर हैं। इसके साथ ही आप तरह तरह के जानवरों को देखने और प्रकृति की सुंदरता का नजदीक से आनंद लेने के लिए राष्ट्रीय उद्यान के माध्यम से खुली जीप सफारी ले देख सकते हैं।
  • मध्य प्रदेश का ग्वालियर एक ऐसा शहर है जो अपने महलों और मंदिरों के लिए विश्व भर में जाना जाता है। शहर में प्रमुख आकर्षण ‘सास बहू’ का मंदिर है। ये एक सुंदर नक्काशीदार मंदिर है। बतादें कि, प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से प्राचीन ग्वालियर का किला एक प्रमुख स्थल माना जाता है। बलुआ पत्थर का महल शहर को देखता है। ऊपर की ओर जाने वाली घुमावदार सड़क के माध्यम से यहां पहुंचा जा सकता है।

जानें राष्ट्रीय पर्यटन दिवस का इतिहास

देश में पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत भारत की आजादी के अगले साल यानी 1948 से शुरू हुई थी। आजाद भारत में पर्यटन के महत्व को समझते हुए इसे बढ़ावा देने की पहल कर स्वरूप पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया। समिति के गठन के तीन साल बाद यानी 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों की शुरुआत की गई थी। इसके बाद दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी पर्यटन कार्यालय बनाए गए। वहीं साल 1998 में पर्यटन और संचार मंत्री के नेतृत्व में पर्यटन विभाग की स्थापना की गई।

इस साल क्या है थीम

हर साल पर्यटन दिवस को लेकर एक थीम बनाई जाती है। इस इस साल पर्यटन दिवस 2024 का विषय ‘सतत यात्राएं, असामयिक यादें’ (Sustainable Journeys, Timeless Memories)है। यह थीम जिम्मेदार और सचेत यात्रा की अवधारणा पर जोर दे रही है। बतादें कि,पिछले साल राष्ट्रीय पर्यटन दिवस 2023 की थीम ‘ग्रामीण और सामुदायिक केंद्रित पर्यटन’ रखी गई थी।

इससे रोजगार भी मिलता है

भारतीय पर्यटन से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। भारत के पर्यटन क्षेत्र से करीब 40 मिलियन लोगों को नौकरियां मिलती हैं। इसके साथ ही पर्यटन उद्योग की एक रिपोर्ट की माने तो भारतीय पर्यटन का बाजार 2024 तक बयालीस अरब डालर और 2025 तक पैंतालीस अरब डालर तक पहुंच जाएगा। वहीं भारत की अर्थव्यवस्था का कुछ अंश भी पर्यटन पर निर्भर है। पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार व देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की जा सकती है।

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