भुवनेश्वर। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि स्वास्थ्य सेवा संस्थान और चिकित्सा अधिकारी मरीजों को एंटी-माइक्रोबियल दवाएं लिखते समय कोई कारण या औचित्य बताएं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की सचिव शालिनी पंडित ने इस दिशानिर्देश को लागू करने के लिए सभी स्वास्थ्य निदेशकों, सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के अधीक्षकों और मुख्य जिला चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीडीएम और पीएचओ) को पत्र लिखा है.

एंटी-माइक्रोबियल के दुरुपयोग और अति प्रयोग से दवा-प्रतिरोधी रोगजनकों का उदय हो सकता है, जो प्रतिरोधी रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण के प्रभावी उपचार को खतरे में डालते हैं. सचिव ने डॉक्टरों से अगली पीढ़ी के डॉक्टरों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग का एक अच्छा उदाहरण स्थापित करने का भी अनुरोध किया है, जो इस संकट का और भी गंभीर रूप में सामना करेगे.

उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से मेडिकल कॉलेजों और परिधीय स्वास्थ्य संस्थानों में काम करने वाले सभी डॉक्टरों को भारत सरकार के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश के साथ पत्र जारी करने और एंटी-माइक्रोबियल दवाओं को निर्धारित करते समय सटीक संकेत, कारण और औचित्य का अनिवार्य रूप से उल्लेख करने का आह्वान किया है.