12 बजने से 90 सेकेंड पहले रुकी प्रलय की घड़ी

Doomsday Clock 12 बजने से सिर्फ 90 सेकेंड दूर है. इस घड़ी में 12 बजने के बाद दुनिया में कयामत आ जाएगी

कयामत की घड़ी को एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने रात के 12 बजने से सिर्फ 90 सेकेंड पहले सेट किया है. इसका जिक्र हर ओर हो रहा है. तो आइये डूम्सडे क्लॉक के बारे में जानते है.

डूमस्डे घड़ी क्या है और कैसे काम करती है-

डूमस्डे घड़ी का समय वैज्ञानिक हर साल बदलते हैं. शिकागो के एक नॉन-प्रॉफिट संगठन ने 1947 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध के तनाव के दौरान जनता को चेतावनी देने के लिए घड़ी बनाई थी. इसका मकसद यह बताना है कि मानव जाति दुनिया के अंत के कितने करीब है.

इस घड़ी को सेट करने की जिम्मेदारी एटॉमिक साइंटिस्ट बुलेटिन को सौंपी गई, जिसे 1945 में अलबर्ट आइंसटाइन और अमेरिका के लिए परमाणु हथियार बनाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने बनाया था. डूमस्डे घड़ी का समय अब तक 25 बार बदला जा चुका है.

1947 में जब यह बनाई गई तो इसमें आधी रात होने में 7 मिनट का समय था

1949 में सोवियत संघ ने न्यूक्लियर बम बनाया तो इस घड़ी में 12 बजने में सिर्फ 3 मिनट बचे थे.

1953 में अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया, तब इस घड़ी में आधी रात के समय से 2 मिनट दूर सेट किया गया

1991 में शीत युद्ध खत्म होने के बाद संगठन ने घड़ी को 12 बजे से 17 मिनट दूरी पर फिक्स किया था

1998 में भारत-पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद घड़ी में 9 मिनट बचे.

1998 में भारत-पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद घड़ी में 9 मिनट बचे

2023 में यूक्रेन युद्ध की वजह से घड़ी में आधी रात से 90 सेकंड बचे. अब भी वैज्ञानिकों के मुताबिक 90 सेकंड ही बचे हैं जो एक चिंता का विषय है

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