रायपुर. शनिवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में “सोशल इंजीनियरिंग के लिए बार और बेंच की भूमिका” पर कॉन्फ्रेंस एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में रायपुर के रहने वाले पियूष भाटिया को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के फंक्शन में सम्मानित किया गया.
पियूष भाटिया यूथ बार एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ विंग के स्टेट प्रेसिडेंट हैं. पियूष प्रदेश के अन्य युवा वकीलों के साथ मिलकर और सीनियर अधिवक्ताओं से मदद लेकर प्रदेश में जो लोग न्याय के लिए भटक रहे हैं और कानूनी प्रक्रियाओं को नहीं समझ पाते, उनकी मदद करने के लिए हमेशा आगे रहते हैं. पियूष भाटिया ने कुछ समय पहले भी आधार को जब उच्च न्यायालय द्वारा जमानत लेने के लिए अनिवार्य कर दिया गया था तब भी उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी, जिसके बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने अपना आर्डर बदला था और आधार को पोस्ट वेरीफिकेशन कर दिया था. पियूष पेशे से क्रिमिनल वकील हैं और दिल्ली पुलिस के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में और सुप्रीम कोर्ट में यूथ बार एसोसिएशन के लिए बहुत समय तक काम कर चुके हैं और अब वे छत्तीसगढ़ में रायपुर कोर्ट व उच्च न्यायालय बिलासपुर में भी अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं.
यूथ बार के सेमिनार में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि उन्हें दो चीजें बहुत परेशान करती हैं. पहली यह कि जो अदालतों में लाखों मुकदमे देश भर में लंबित हैं और दुर्भाग्य की बात यह है कि कई बार जो अपील में जो केसेस, उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय आते तक उसमें अपराधी अपनी सजा से ज्यादा समय जेल में काट चुका होता है. इस पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने कहा कि उनके पास प्लान है जो वह आने वाले समय पर डिस्क्लोज करेंगे और अपने कार्यकाल में चीफ जस्टिस होते हुए इस समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे.
दूसरी बात जो उन्हें परेशान करती है वह यह है कि गरीब वर्ग के लोग न्याय पाने में अक्सर असक्षम दिखाई देते हैं और इसके लिए उन्होंने यूथ बार से अपील करते हुए कहा कि वह न्यायसंगत सुलभ बनाने में अहम भूमिका निभाये. न्यायमूर्ति गोगोई ने न्याय वितरण में सहायता के लिए बार द्वारा निभाई गई भूमिका पर भी टिप्पणी की. ” कानून किताबों में नहीं रहता है, यह पेशे के साथ रहता है. न्यायाधीश बार से अपना क्यू लेते हैं. यह वह बार है जो शुष्क हड्डियों को मांस और खून देता है “, उन्होंने न्यायमूर्ति एचआर खन्ना का हवाला दिया.
वक्ताओं में सिद्धार्थ लूथरा, सीनियर एडवोकेट, जेएम शर्मा वरिष्ठ वकील, आरके खन्ना वरिष्ठ वकील और सोलि सोराबजी वरिष्ठ वकील थे. वक्ताओं ने बार यानी वकालत और बेंच यानी न्यायपालिका की मानकों को ऊपर उठाने में भूमिका पर बल दिया .