कर्ण मिश्र, ग्वालियर: डॉग्स को सबसे वफादार जानवरों में से एक माना जाता है। लेकिन यह महज इंसान की दोस्ती तक सीमित नहीं है। देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ ही अन्य सुरक्षा कानून व्यवस्था से जुड़ी संस्थाओं में भी यह डॉग्स अपनी काबिलियत दर्शा रहे हैं। ग्वालियर के एसएएफ ग्राउंड में भी कुछ हैरान कर देने वाले नजारे देखने को मिले। जहां गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित हुआ। इस समारोह में ग्वालियर के टेकनपुर स्थित देश के इकलौते बीएसएफ के अंतरराष्ट्रीय स्तर के श्वान प्रशिक्षण केंद्र के डॉग स्क्वाड ने हैरतअंगेज कारनामे दिखाए।

डॉग स्क्वाड के कारनामों को जिसने भी देखा दांतों तले उंगली दबाए रह गया। अकादमी में ट्रेंड इन डॉग्स ने आतंकवादियों को पकड़ने, कई फीट ऊंची दीवारों को लांघने, बिना किसी डर के बम को खोजने, ऊंची खड़ी सीढ़ियों पर चढ़ना और उतरना जैसे कई हैरतंगेज और जाबांज टास्क कर दिखाए।

केंद्र ने अब तक 10 हजार से ज्यादा डॉग्स को किया प्रशिक्षित

सीमा सुरक्षा बल के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण के केंद्र के DC वेट डॉ अनुराग बी आर्या के मुताबिक अलग-अलग फील्ड्स में सन 1970 से डॉग को ट्रेनिंग दी जा रही है। केंद्र ने अब तक करीब 10 हजार से ज्यादा श्वानों को प्रशिक्षित किया है। जो नारकोटिक्स, एक्सप्लोसिव, ट्रैकर,वाइल्ड लाइफ,माइंस डिटेक्शन सहित कई अन्य टास्कों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं BSF की इस डॉग प्रशिक्षण आकदमी से प्रशिक्षित डॉग्स पड़ोसी देशों में भी नेपाल,भूटान सहित अन्य देशों में काम कर रहे हैं।

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रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड जैसी देसी नस्लें भी शामिल

खास बात ये है कि PM मोदी के वोकल फार लोकल के मंत्र पर ये केंद्र भी आगे आया है। यही वजह है कि अब भारतीय नस्ल के डॉग्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब यहां 100 में से 30 प्रतिशत श्वान देसी नस्ल के ट्रेंड किए जाते हैं। इनमें रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड जैसी अलग-अलग देसी नस्लें शामिल हैं। देसी नस्ल के श्वानों के प्रशिक्षण में छह से नौ महीने का समय लगता है। कुछ श्वान समय से पहले भी प्रशिक्षित हो जाते हैं। अच्छी बात ये है कि ये देसी नस्ल के श्वान अब भारतीय सीमाओं की निगरानी भी कर रहे हैं।

360 डिग्री पर देखने की काबिलियत रखते हैं ये देसी नस्ल के डॉग्स

उत्तर भारत के रामपुर हाउंड और दक्षिण भारत की देसी नस्ल मुधौल हाउंड के श्वानों में गजब की काबिलियत है। विदेशी नस्लों के श्वानों की तुलना में ये श्वान ही सिर्फ 360 डिग्री पर देखने की काबिलियत रखते हैं। बीएसएफ अकादमी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का श्वान प्रशिक्षण केंद्र है। यहां विदेश की सुरक्षा एजेंसियों के श्वान भी प्रशिक्षित किए जाते हैं। विदेशी नस्ल के श्वान ही बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इस सोच को केंद्र ने तोड़कर दिखाया है।

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ड्रोन डिटेक्ट करने के लिए भी डॉग्स को किया जा रहा प्रशिक्षित

BSF का राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र अब ड्रोन के बढ़ते दौर के हिसाब से भी तैयार हो गया है। केंद्र देसी नस्ल के श्वानों को ड्रोन डिटेक्ट करने के लिए भी प्रशिक्षित कर रहा है। ताकि देश की सीमाओं पर ड्रोन के जरिये होने वाली घुसपैठ को रोका जा सके। केंद्र 6 श्वानों को ड्रोन डिटेक्ट करने में प्रशिक्षित कर देश की सीमाओं सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सौंप चुका है और जल्द ही दूसरा प्रशिक्षित बैच जारी करने वाला है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मिला बेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का अवार्ड

गौरतलब है कि ग्वालियर स्थित सीमा सुरक्षा बल (BSF) के टेकनपुर इंस्टीट्यूट को केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से बेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट अवार्ड से नवाजा गया है। इंस्टीट्यूट को यह अवार्ड 2018-19 में राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट ट्रेनिंग के लिए दिया गया है। ऐसे में यहां से प्रशिक्षित श्वानों के हैरतंगेज टास्क को देखने वाला हर कोई इन्हें सैल्यूट करता नजर आता है।

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