शैलेंद्र पाठक, बिलासपुर. राजीव गांधी के हत्यारों पर सुप्रीम कोर्ट की फैसले की वजह से प्रदेश में उम्रकैद की सजा काट चुके 286 कैदियों की रिहाई नहीं हो पा रही है. इन कैदियों की रिहाई को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगी है. याचिका में बताया कि अभी प्रदेश में 286 कैदी ऐसे है, जो जेल में 14 साल से ऊपर सजा काट चुके हैं. इसके बावजूद अभी भी वो जेल में बंद हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट ने शासन से पूछा कि ऐसे कैदियों के लिए सरकार के पास क्या गाइड लाइन है. इस पर हाईकोर्ट ने शासन से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है.

उम्रकैद की सजा काटने के बाद भी जेल में कैदी इसलिए बंद है, क्योंकि राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के आवेदन के बाद आजीवन कारावास में बदल दिया था. इसके बाद उम्रकैद के कैदियों की रिहाई के वक्त तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों को भी रिहा कर दिया, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट मे अपील की. जिसके बाद कोर्ट ने राजीव गांधी के हत्यारों को टिल डेथ (मृत्यु पर्यंत तक)  उम्रकैद की सजा सुनाई.

इस फैसले के चलते उम्र कैद की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई में समस्या आ रही थी, जिसके कारण छतीसगढ़ के जेलों में उम्रकैद की सजा काट चुके कैदी अपनी सजा पूरी होने के बाद भी जेल में है. इसको लेकर अधिवक्ता अमरनाथ पांडे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट शासन से जवाब मांगा है कि किस आधार पर ऐसे कैदियों को जज छूट दे सकते हैं.

हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका अधिवक्ता अमरनाथ पांडे ने लगाई है. याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के जेलों में 286 कैदी ऐसे है, जिनकी सजा 14 साल से ऊपर हो चुकी है फिर भी वो जेल में बंद है. उसकी रिहाई नहीं हो रही है.