कुमार इंदर, जबलपुर। शहर के संस्कारधानी अस्पताल में एक बार फिर से बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। यहां पर भर्ती दो मरीजों को एक्सपायरी डेट की दवा देने का मामला सामने आया है। जब मरीज के परिजनों को इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से शिकायत की। लेकिन उल्टे अस्पताल प्रबंधन मरीज के परिजनों पर ही दबाव बनाने लगा और यह समझाने की कोशिश करते नजर आए कि जिस दवा को एक्सपायरी डेट बताया जा रहा है दरअसल वह एक्सपायरी डेट नहीं है। जिसके बाद अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों ने इस बात की शिकायत पुलिस और प्रशासन से भी की है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल पाटन निवासी साहू परिवार और अग्रवाल परिवार के दो मरीज 25 जनवरी को संस्कारधानी अस्पताल में इलाज करने के लिए पहुंचे थे। अग्रवाल परिवार की बच्ची के पेट में अल्सर की शिकायत थी जिस वजह से उसे सिरप दिया गया था। बताया जा रहा है कि वह सिरप नवंबर 2023 में ही एक्सपायर हो चुका था। जबकि दूसरे मरीज को भी एक्सपायरी डेट का एक इंजेक्शन लगा दिया गया था। इस बात को लेकर मरीज के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से सवाल किया तो उस पर बवाल खड़ा हो गया।
हंगामा होने पर अस्पताल पहुंची पुलिस
मरीज के परिजनों ने जब एक्सपायरी डेट की दवाई को लेकर सवाल किया तो अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया और देखते ही देखते अस्पताल में भीड़ जमा हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मामले की जानकारी माढ़ाताल थाना को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर किसी तरह मामले को शांत कराया। पुलिस का कहना है कि कुछ दवाइयां को लेकर मरीज और अस्पताल प्रबंधन के बीच में कन्फ्यूजन हो गया था इसी बात को लेकर वहां विवाद की स्थिति बन गई थी।
शिकायत पर जांच करने पहुंचा था ड्रग्स एंड कंट्रोल विभाग
संस्कारधानी अस्पताल में एक्सपायरी डेट की दवा देने की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग का ड्रग्स एंड कंट्रोल विभाग भी जांच करने पहुंचा था। जांच के दौरान अस्पताल में कई सारी अनियमिताएं मिली। ड्रग्स कंट्रोलर शरद जैन ने बताया की जिस मरीज ने एक्सपायरी डेट की खाली बोतल और इंजेक्शन उपलब्ध कराई है और अस्पताल ने जो बिल बनाया है दोनों में मिसमैच है। यही नहीं जिन इंजेक्शनों को बाहर रखा जाना था उन्हें फ्रिज में रखा गया था। ड्रग्स और कंट्रोल विभाग ने इंजेक्शन को नष्ट कर दिया। वहीं कुछ दवाइयां के बैच नंबर के हिसाब से बिल मांगा गया है जिससे विभाग दवाइयां का मिलान कर सके।
ये पहली बार नहीं हुई लापरवाही
यह पहली घटना नहीं है जब संस्कारधानी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई है। इसके पहले भी कई बार इस अस्पताल में लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने हंगामा किया है। लेकिन बार-बार घोर लापरवाही होने के बाद भी आखिर स्वास्थ्य विभाग की इस अस्पताल पर मेहरबानी बनी हुई है।
एक बार लाइसेंस भी हो चुका है निरस्त
लापरवाही और नियमों की अनदेखी के चलते संस्कारधानी अस्पताल का लाइसेंस भी स्वास्थ्य विभाग में निरस्त कर चुका है। बावजूद इसके अस्पताल चल रहा है। अस्पताल ने लाइसेंस निरस्त करने के फैसले को कोर्ट में चैलेंज किया है।