राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सिकल सेल रोग को जड़ से खत्म करने के लिए 2047 का प्लान साझा करते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. राज्यपाल ने सोमवार को राजभवन के सभागार में जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य और आयुष विभाग की बैठक बुलाई. बैठक में राज्यपाल ने सिकल सेल रोग को जड़ से खत्म के प्लान को लेकर अफसरों को दिशा-निर्देश जारी किए.
2047 के बाद कोई भी बच्चा सिकल सेल रोग के साथ जन्म न ले
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने बैठक में कहा है कि वर्ष 2047 के बाद कोई भी बच्चा सिकल सेल रोग के साथ जन्म नहीं ले. इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि जांच और पुनर्वास के कार्य तीव्र गति और नियोजित रणनीति के अनुसार किए जाएं. प्रभावी परिणामों के लिए अंतिम कड़ी तक पहुंचकर काम करना है. राज्यपाल ने कहा कि वाहक और रोगी के चिन्हांकन के साथ ही जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड प्राथमिकता के आधार पर वितरित किए जाएं. प्रत्येक जिले के सिविल अस्पताल में सिकल सेल रोग वार्ड बनाया जाए. रोगी बच्चों के प्रभावी उपचार के लिए वार्ड में प्रयास किए जाने चाहिए.
जनजातीय वैद्य और जड़ी-बूटियों का स्तर काफी व्यापक हो चुका
राज्यपाल ने सिकल सेल रोग उपचार प्रयासों में अन्य चिकित्सा पद्धतियों विशेष कर आयुर्वेद के उपचार और औषधियों के चिन्हांकन और प्रमाणीकरण के प्रयासों पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि जनजातीय वैद्य और जड़ी-बूटियों का स्तर काफी व्यापक हो चुका है. आवश्यकता उनको वैज्ञानिक आधार प्रदान करने की है.
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पीएम मोदी कर रहे हैं माॅनिटरिंग
राज्यपाल ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सिकल सेल रोग उन्मूलन प्रयासों की निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे है. इसका उल्लेख पीएम अपने सार्वजनिक उद्बोधनों में भी कर रहे हैं. देश को सिकल सेल रोग मुक्त बनाने के लिए गठित मिशन की लॉन्चिंग प्रधानमंत्री ने प्रदेश के शहडोल जिले से की है. इस तरह उन्होंने सिकल सेल उन्मूलन की दिशा में प्रदेश के कार्यों को पूरे देश में प्रसारित किया है. प्रदेश का दायित्व है कि वह सिकल सेल उन्मूलन के कार्यों में देश का अग्रणी राज्य बने.
वाहक और रोगी दोनों को पोषण, खान-पान के संबंध में जानकारी दी जाए
उन्होंने स्वास्थ्य शिविर के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जरूरी है कि सिकल सेल रोग उपचार और पुनर्वास प्रयासों के संबंध में आम जन की जागृति और स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत कार्यकर्ताओं को और अधिक संवेदनशील बनाने के कार्य भी किए जाएं. वाहक और रोगी दोनों को पोषण, खान-पान, व्यायाम और जीवन शैली के संबंध में जानकारी दी जाए.
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