कप-प्लेट धोने वाला यह लड़का मेहनत से बना सिनेमा का नामी सितारा, ऐसा रहा ग्वालियर के हर्षवर्धन राणे का फिल्मी सफर
बेहद कम लोग जानते हैं कि एक्टर हर्षवर्धन राणे महज 16 साल की उम्र में अपने घर ग्वालियर से भागकर दिल्ली आ गए थे.
एक्टर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह दिल्ली के लिए निकले तो उनकी जेब में महज 200 रुपए थे, जिसमे 74 रुपए ट्रेन की टिकट में खर्च हो गए.
दिल्ली जाकर हर्षवर्धन ने एक हॉस्टल के किचन में जैसे-तैसे अपने सोने का इंतजाम किया था.
हर्षवर्धन बताते हैं कि जब उनके पास पैसे नहीं थे, उसी हॉस्टल में उन्होंने कुर्सी-टेबल साफ करने से लेकर कप प्लेट तक धोए हैं.
हर्षवर्धन को बाद में उसी हॉस्टल के एसटीडी बूथ में 10 रुपए प्रतिदिन की नौकरी मिल गई.
हर्षवर्धन राणे का स्ट्रगल य हीं खत्म नहीं हुआ, एक्टर ने फिर कुरियर बॉय से लेकर कॉल सेंटर में तक जॉब किया. काम के दौरान उन्होंने इंग्लिश बोलना भी सीखा.
एक्टर ने साल 2006 में दिल्ली से मुंबई का रुख किया, जहां वे डायरेक्टर महेश भट्ट के ऑफिस में कैसेट की डिलीवरी करने लगे. इसी बीच एक्टर को उनकी पहली साउथ फिल्म मिली.
एक्टर ने प्रेमा इश्क का धन, अनामिका, ,माया समेत कई साऊथ फिल्मों में काम किया, इसके बाद 'सनम तेरी कसम' से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया.