सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले के शाहगढ़ विकासखंड के ग्राम पापेट निवासी 19 मजदूरों को महाराष्ट्र के परभणी में बंधक बना लिया गया। उनसे 11 से 12 घंटे काम कराया जाने लगा। साथ ही काम के बदले मजदूरी भी नहीं दी गई। मामले की शिकायत मिलते ही सागर जिला प्रशासन हरकत में आया और महाराष्ट्र पुलिस से संपर्क कर मजदूरों को मुक्त कराया है। मजदूरों को सुरक्षित सागर लाया गया। जहां से उन्हें घर भेज दिया है।
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कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि शाहगढ़ के ग्राम पापेट के अनरत आदिवासी और लक्ष्मण आदिवासी ने शिकायत की थी। उन्होंने शिकायत में बताया कि मेरे परिवार के सदस्यों को महाराष्ट्र के परभणी जिले के कुछ लोग गन्ना मजदूरी कराने के लिए साथ लेकर गए हैं। उन्होंने कहा था कि गन्ना कटाई के लिए पुरुषों और महिलाओं को 600 रुपए प्रति टन के हिसाब से मजदूरी दी जाएगी। रहने और खाने की उचित व्यवस्था की जाएगी। लालच देकर वे 19 मजदूरों लेकर परभणी पहुंचे। जहां उन्हें ठेकेदार ने गन्ना के खेत में झोपड़ी बनाकर रहने को कहा। खेत पर गन्ना कटाई का काम शुरू कराया।
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ठेकेदार से राशन के लिए पैसे मांगे गए तो उसने 4-5 दिन का राशन लेकर दिया। वह सुबह 7 बजे से शाम 6-7 बजे तक 11-12 घंटे तक काम कराने लगे। दो माह पूरे होने पर मजदूरी मांगी तो उन्होंने मजदूरी देने से मना कर दिया। ठेकेदार ने कहा कि 300 रुपए प्रतिटन के हिसाब से पैसे दिए जाएंगे। राशन के लिए भी पैसे नहीं दिए। शिकायत मिलते ही कलेक्टर दीपक आर्य ने मजदूरों को वापस लाने के लिए टीम बनाई। टीम में शामिल सिटी मजिस्ट्रेट जूही गर्ग ने महाराष्ट्र पुलिस और सामाजिक संस्थाओं से संपर्क किया। काफी मेहनत के बाद सभी 19 मजदूरों को मुक्त कराकर सुरक्षित सागर लाया गया। सागर में उनका तिलक लगाकर स्वागत किया गया और उनके घर सुरक्षित पहुंचाया गया है।
इन मजूदरों को बनाया गया था बंधक
महाराष्ट्र के परभणी में फंसे मजदूरों में क्रेश पिता नन्हेलाल, हल्लू आदिवासी, रानी आदिवासी, कल्लो, मल्ला, बाबू, चतुर आदिवासी, यशोदा पति चतुर, राधिका पिता चतुर, दिव्यांशी पिता चतुर, शिवाजी पिता चतुर, दीपेश, कल्याण, प्रेमबाई पति कल्याण, शक्तिमान पिता कल्याण, गीता पिता कल्याण ,प्रकास पिता कल्याण, जनकरानी आदिवासी, राम मिलन उर्फ रामू सभी निवासी पापेट शामिल हैं।
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