Shab e-Barat 2024 : इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12 फरवरी को शाबान महीने का चांद निकलेगा और महीने की शुरुआत हो सकती है. वहीं, 25 फरवरी को शब-ए-बारात मनाई जा सकती है. इस दिन शाबान महीने की पहली तारीख से 15 तारीख तक मुस्लिम अपने-अपने घरों में मरहूमों के लिए कुरान की तिलावते करते और करवाते हैं. शाबान के 15 तारीख को शब-ए-बारात के तौर पर मनाते हैं. आइए इसके महत्त्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.
शब-ए-बारात का महत्व
मुस्लिम शब-ए-बारात को रात भर तिलावत और बंदगी (नमाज) करते हैं. शब-ए-बारात सिर्फ गुनाहों की माफी और मरहूमों के लिए दुआओं की रात नहीं है, बल्कि कौन पैदा होगा, किसकी इस दुनिया से रुखसती होगी, किसे दुनिया में क्या हासिल होगा, कितनी रोजी मिलेगी, किसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे, यानी हर मुसलमान की तकदीर इस रात तय हो जाएगी, ऐसा माना जाता है. मुफ़्ती अस्फान सिद्दीकी बताते हैं कि सिर्फ गुनाह ही माफ नहीं होंगे, बल्कि अल्लाह की ओर से अपने हर बंदे के लिए साल भर में होने वाले काम बांट दिए जाएंगे. पूरे साल का हिसाब-किताब भी अल्लाह की ओर से इस रात को किया जाएगा.
शब-ए-बारात को इन लोगों की नहीं होती माफी
इस्लामिक मान्यता है कि इस रात में सभी गुनहगारों की माफी दी जाती है, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जिनकी गलतियों को अल्लाह माफ नहीं करता है. जैसे जिनसे उनेक मां-बाप नाराज हों, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को दुख पहुंचाया हो, जो दिल में दूसरों के लिए नफरत पालता है, जो इंसानों के साथ सही बर्ताव नहीं करता है, जो अपनी जबान, हाथ या किसी भी चीजों से किसी का नुकसान किया हो, जो चुंगली करता है. अल्लाह कहता है जो शख्स हमारी बंदगी में कमी करेगा मैं उसे माफी दे सकता हूं, लेकिन जो हमारे बंदे की हुकूक में कमी करेगा, यानी एक इंसान दूसरे इंसान को नुकसान पहुंचाएगा तो मैं उसे कभी माफ नहीं कर सकता, जब तक वह शख्स उस इंसान से माफी मांगकर माफ न करवा ले.
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