देश में डीपफेक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते दिनों इससे जुड़ी कई सारी खबरें सामने आई हैं. वर्तमान में इसका प्रयोग गलत जानकारियां फैलाने या फिर किसी को बदनाम करने में किया जाता है. अब इसे अपकमिंग लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ा जा रहा है. ऐसे में एक बड़ा डर चुनावों में इसके इस्तेमाल का है. इससे बचने के लिए हर संभव यत्न किए जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय का साइबर विंग डिपार्टमेंट जल्द ही डीपफेक डिटेक्शन टूल लेकर आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस पर बड़े स्तर पर काम चल रहा है. इसके लिए ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट और MHA के I4C (इंडियन साइबरक्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर) डिपार्टमेंट रिसर्च करके डीपफेक डिटेक्शन टूल बना रही है. देश के हर एक साइबर थाने में इस डिटेक्शन टूल को पुलिस को दिया जाएगा. जिससे डीपफेक वीडियो को डिटेक्ट करने में मदद मिलेगी.
MHA साइबर विंग सूत्रों के मुताबिक, यह टूल ना सिर्फ डीपफेक वीडियो को डिटेक्ट करेगा, बल्कि इसे बनाने वाले व्यक्तियों को खोजने में मदद करेगा. ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार डीपफेक को रोकने के लिए किसी टेक्नोलॉजी को डेवलप कर रही है. टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल को रोकने की दिशा में ये एक बड़ा कदम है.
डीपफेक से बचने के लिए ये हैं ख़ास टिप्स
डीपफेक वीडियो बनाने के लिए किसी शख्स को आपकी ज्यादा से ज्यादा फोटोज और वीडियोज की जरूरत होगी. किसी शख्स के जितने ज्यादा वीडियोज और फोटोज मौजूद होंगे, उसका डीपफेक वीडियो उतना ही बेहतर बनाया जा सकता है. ऐसे में आपको अपने वीडियो और फोटोज को कम से कम लोगों के हाथ लगने देना चाहिए. सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज और वीडियोज पर प्राइवेसी लगाकर रखें. इसके अलावा किसी डीपफेक वीडियो का शिकार होने से बचने के लिए उस वीडियो पर विश्वास करने से पहले उसके बारे में जानकारी किसी ऑथेंटिक सोर्स से जरूर चेक करें.
देश में डीपफेक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते दिनों इससे जुड़ी कई सारी खबरें सामने आई हैं. वर्तमान में इसका प्रयोग गलत जानकारियां फैलाने या फिर किसी को बदनाम करने में किया जाता है. अब इसे अपकमिंग लोकसभा चुनावों के साथ जोड़ा जा रहा है. ऐसे में एक बड़ा डर चुनावों में इसके इस्तेमाल का है. इससे बचने के लिए हर संभव यत्न किए जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय का साइबर विंग डिपार्टमेंट जल्द ही डीपफेक डिटेक्शन टूल लेकर आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस पर बड़े स्तर पर काम चल रहा है. इसके लिए ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट और MHA के I4C (इंडियन साइबरक्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर) डिपार्टमेंट रिसर्च करके डीपफेक डिटेक्शन टूल बना रही है. देश के हर एक साइबर थाने में इस डिटेक्शन टूल को पुलिस को दिया जाएगा. जिससे डीपफेक वीडियो को डिटेक्ट करने में मदद मिलेगी.
MHA साइबर विंग सूत्रों के मुताबिक, यह टूल ना सिर्फ डीपफेक वीडियो को डिटेक्ट करेगा, बल्कि इसे बनाने वाले व्यक्तियों को खोजने में मदद करेगा. ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार डीपफेक को रोकने के लिए किसी टेक्नोलॉजी को डेवलप कर रही है. टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल को रोकने की दिशा में ये एक बड़ा कदम है.
डीपफेक से बचने के लिए ये हैं ख़ास टिप्स
डीपफेक वीडियो बनाने के लिए किसी शख्स को आपकी ज्यादा से ज्यादा फोटोज और वीडियोज की जरूरत होगी. किसी शख्स के जितने ज्यादा वीडियोज और फोटोज मौजूद होंगे, उसका डीपफेक वीडियो उतना ही बेहतर बनाया जा सकता है. ऐसे में आपको अपने वीडियो और फोटोज को कम से कम लोगों के हाथ लगने देना चाहिए. सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज और वीडियोज पर प्राइवेसी लगाकर रखें. इसके अलावा किसी डीपफेक वीडियो का शिकार होने से बचने के लिए उस वीडियो पर विश्वास करने से पहले उसके बारे में जानकारी किसी ऑथेंटिक सोर्स से जरूर चेक करें.
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