रायपुर। सरकार मोटे अनाजों यानी श्री अन्न की खेती पर जोर दे रही है. बड़ी वजह है इसकी खेती में पानी की बहुत कम जरूरत होती है. सरकार इसकी खेती और उपज बढ़ाकर किसानों को सीधा इसका लाभ पहुंचाना चाह रही है. सरकार मोटे अनाजों का इस्तेमाल खाद्य सुरक्षा में भी बढ़ा रही है जिससे इसकी खेती को और अधिक बढ़ावा मिले. दरअसल मोटे अनाज के घरेलू और वैश्विक मांग को बढ़ावा देखते हुए भी सरकार इसकी खेती पर जोर दे रही है. यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है.
कई राज्यों में मिलेट मिशन शुरू
भारत से मोटे अनाज निर्यात के प्रचार, विपणन और विकास की सुविधा के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक निर्यात संवर्धन मंच की स्थापना की गई है. ईट राइट अभियान के तहत, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) स्वस्थ और विविध आहार के हिस्से के रूप में मोटे अनाज के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता पैदा कर रहा है. भारत सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत राज्यों को राज्य की विशिष्ट जरूरतों के लिए काम कर रही है. इसके अलावा, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए राज्यों में मिलेट मिशन शुरू किए गए हैं.
कार्यक्रमों का किया जा रहा है आयोजन
भारत सरकार ने इसे जन आंदोलन बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए हैं, ताकि भारतीय मोटे अनाज के उत्पादन को विश्व स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके. इसके लिए भारत में जी20 की अध्यक्षता, मोटे अनाज पाक कार्निवल, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कार्यक्रम, शेफ सम्मेलन, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की प्रदर्शनी, रोड शो, किसान मेले, अर्धसैनिक बलों के लिए शेफ का प्रशिक्षण, इंडोनेशिया और दिल्ली में आसियान भारत मिलेट्स महोत्सव के दौरान मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा है.
मिलेट्स पर समर्थन मूल्य घोषित करने वाला पहला राज्य
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां कोदो, कुटकी और रागी जैसे मिलेट्स का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया बल्कि समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है. इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा बढ़ रहा है और उत्पादन भी बढ़ रहा है. मिलेट्स को लेकर जागरूकता बढ़ रही है, इससे किसानों को फायदा मिल रहा है. जितनी ज्यादा जानकारी मिलेगी, किसानों को उतना ही फायदा मिलेगा. छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी की खेती का रकबा अब दोगुना से ज्यादा हो गया है. इसकी खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर हो गया है. मिलेट की उत्पादकता भी बढ़ी है. इसे प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल यानी दोगुना किए जाने का टारगेट है.
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