दिल्ली. पांच राज्यों में कल चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. इसके बाद एक बार फिर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों के निशाने पर आ गया है. दरअसल चुनाव आयोग के तारीखों की घोषणा की टाइमिंग पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

दरअसल चुनाव आयोग शनिवार को पांच राज्यों के चुनावी कार्यक्रम पहले दोपहर 12 बजे घोषित करने वाला था लेकिन अचानक समय बदलकर शाम 3 बजे कर दिया गया. भाजपा की विरोधी पार्टियों का कहना है कि दोपहर 1 बजे राजस्थान के अजमेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक जनसभा को संबोधित करने वाले थे इसलिए आयोग ने आनन-फानन में 12 बजे की जगह  चुनाव की तारीखों की घोषणा की टाइमिंग 3 बजे कर दिया ताकि उनकी रैली आचार संहिता के दायरे में न आ पाए. इस रैली में पीएम कई लोकलुभावने वादे भी राजस्थान की जनता से करना चाह रहे थे. उन वादों और आश्वासनों पर कोई असर न पड़े इसलिए चुनाव आयोग ने तारीखों के ऐलान के लिए घोषणा का समय बदल दिया.

विरोधियों का कहना है कि पीएम मोदी घोषणाएं कर सकें इसलिए समय बदला गया. विरोधियों ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के आईटी सेल के राष्ट्रीय प्रमुख ने कर्नाटक चुनाव की तारीखें चुनाव आयोग के ऐलान से पहले ट्वीट कर दी थीं.

वैसे चुनाव आयोग की टाइमिंग कई सवाल खड़े कर रही है. मसलन पहले आयोग के सूत्रों के मुताबिक मुख्य चुनाव आय़ुक्त ओपी रावत मनीला के दौरे से लौटने के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान करने वाले थे. ऐसे में उन्होंने आनन-फानन में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी. ऐसी क्या जल्दी आ पड़ी थी. बहरहाल, सवाल कई हैं लेकिन उनका जवाब मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने एक लाइन में ये कहकर दिया कि राजनीतिक दल हर चीज का राजनीतिकरण कर देते हैं. ये भी उसी कड़ी का एक हिस्सा है. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप विपक्षियों ने चुनाव आयोग पर लगाया हो.