दिल्ली. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का कार्यक्रम घोषित होने से महज कुछ घंटे पहले ही विश्व हिंदू परिषद द्वारा राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए कानून बनाए जाने की मांग पर सवाल उठाए जा रहे हैं. विहिप के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया का दावा है कि एक साल पहले ही उन्होंने प्रस्तावित अध्यादेश का प्रारूप बना लिया था.
नवंबर 2017 में उडुपी में आयोजित धर्म संसद में कानून बनाकर राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आरंभ करने का प्रस्ताव पारित होना था लेकिन अंतिम क्षणों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दबाव में यह प्रस्ताव रद्द करना पड़ा. तोगड़िया ने कहा उनके पास दस्तावेजी साक्ष्य हैं कि किस तरह भाजपा के शीर्ष नेताओं ने राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव लाने के विहिप के प्रयास का विरोध किया और संघ पर दबाव बनाया कि धर्म संसद में यह प्रस्ताव न लाया जाए.
उन्होंने दावा किया कि भाजपा के दबाव में संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने न सिर्फ यह प्रस्ताव धर्म संसद में आने नहीं दिया बल्कि उन्हें ही विहिप से निष्कासित करवा दिया. अब अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (अहिप) के अध्यक्ष तोगड़िया ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद भाजपा ने राम का नाम त्याग दिया और अब चुनाव की आहट सुनते ही उसे फिर राम याद आने लगे.
उनका कहना है कि भाजपा राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण को लेकर अभी भी गंभीर नहीं है और वह इस मुद्दे को उठाकर महंगाई, पेट्रोल की बढ़ती कीमत, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, राफेल सौदे जैसे ज्वलंत मुद्दों को गौड़ कर देना चाहती है.