नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने बवाना में किसानों के लिए जेल बनाने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है. किसानों के दिल्ली कूच के मद्देनजर बवाना स्टेडियम को अस्थाई जेल बनाने के केंद्र के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार ने ठुकरा दिया है. दिल्ली सरकार में गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि किसानों की मांगें वास्तविक हैं. इसलिए किसानों को गिरफ्तार करना गलत है. अन्नदाता को जेल में डालना गलत है.
वहीं,आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को पोस्ट एक्स लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के अन्नदाताओं से नफरत का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि दिल्ली की हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती बॉर्डरों पर लोगों को राजधानी में एंट्री करने से रोकने के लिए कीलों वाली रिकेडिंग हाईवे पर कर दी है. जो अन्नदाता किसान देश का पेट भरने के लिए जमीन पर फसल उगाते हैं, पीएम Modi ने उन्हीं किसानों को रोकने के लिए रास्ते में कीलों का जाल बिछाया है. आप ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा देश के अन्नदाता किसानों को रोकने के लिए जितनी ताक़त लगाई जा रही है, उससे कम ताक़त में तो MSP क़ानून बन सकता है.
आपको बता दें कि फसलों के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग को लेकर हरियाणा, पंजाब और यूपी के किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे है. किसानों के विरोध मार्च को देखते हुए ITO चौराहे पर दिल्ली पुलिस के जवान तैनात है. साथ ही, CRPF की धारा 144 लागू की गई है. तो वहीं, कुरुक्षेत्र में किसान आंदोलन के मद्देनजर सीमा पर CRPF और हरियाणा पुलिस बल तैनात की गई है.
बता दें कि यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसान संगठनों के दिल्ली मार्च के आह्वान को देखते हुए सीमावर्ती इलाकों मार्गों पर सुरक्षा पहरा बढ़ा दी गई हैं. सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, झड़ोदा बॉर्डर, गुरुग्राम ‘दिल्ली जयपुर हाईवे’ पर मल्टी लेयर सुरक्षा की व्यवस्था है. इन बॉर्डरों पर कीलों वाली बैरिकेडिंग के अलावा सीमेंट से बने बैरिकेड भी लगाए गए हैं. दिल्ली पुलिस के साथ भारी संख्या में सुरक्षा बलों के जवान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात हैं. इतना ही नहीं, दिल्ली में 11 फरवरी से ही धारा 144 लागू है. साथ ही पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों को साफ आदेश है कि किसी को भी दिल्ली की सीमा में प्रवेश की इजाजत न दें.