वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. सीएम के जनदर्शन में अपनी परेशानी बताने जा रहे ट्रक मालिक को पुलिस ने सीएम के पास पहुंचने से पहले ही उठा लिया और थाने ले गए, जहां मारपीट की और एट्रोसिटी एक्ट लगा दिया. इतना ही नहीं जुर्म दर्ज करने के 10 महीने बाद भी पुलिस ने चालान पेश नहीं किया. इस मामले में याचिकाकर्ता ने पुलिस पर जबरिया जुर्म दर्ज करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर को रद्द करने और दोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार हाईकोर्ट से लगाई है. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी, एसपी दुर्ग समेत अन्य को नोटिस जारी कर 9 अप्रैल तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.
दरअसल, भिलाई निवासी ट्रक मालिक सरदार सुखवंत सिंह ने अपने अधिवक्ता अनिल तावड़कर के जरिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. इसमें कहा गया है कि वह परिवहन का व्यवसाय करता है. शिकायतकर्ता नारद लाल तांडेकर एएसआई ने गाड़ी छोड़ने के नाम पर 15 हजार रुपए की मांग की थी, जिसका भुगतान प्रार्थी के मोबाइल नंबर से शिकायतकर्ता के मोबाइल पेटीएम से आनलाइन भुगतान किया गया था. इस भुगतान का प्रिंट आउट और कापी निकालकर आईजी, एसपी और डीजीपी से शिकायत की थी. इसके बाद एएसआई को निलंबित कर दिया गया.
याचिका में कहा गया है कि निलंबन के कुछ दिनों बाद एएसआई द्वारा ली गई राशि और लेनदेन की फोटो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित होने लगी. इससे शिकायतकर्ता प्रार्थी से एएसआई व्यक्तिगत विद्वेष रखने लगा. शिकायतकर्ता ने सात अप्रैल 2023 को दुर्ग में मुख्यमंत्री के जनदर्शन कार्यक्रम के दौरान शिकायत करने पहुंचा. जनदर्शन में शामिल होने के लिए टोकन भी प्राप्त कर लिया था. इसी बीच कुछ पुलिस वाले उसे उठाकर सीधे थाने ले आए. निलंबित एएसआई के इशारे पर पुलिस वालों ने उसके साथ जमकर मारपीट की और एट्रोसिटी के तहत मामला भी दर्ज कर लिया. जुर्म दर्ज करने के 10 माह बाद भी पुलिस ने चालान पेश नहीं किया.
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