कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियर। ग्वालियर में इकोग्रीन सफाई कर्मियों और फाइनेंस कम्पनी रिकवरी एजेंटों के बीच विवाद का मामला सामने आया है। दोनों कंपनियों के कर्मचारियों के बीच सड़क पर जमकर लात घुसे चले, पुलिस के बीच बचाव के वाद दोनों ही पक्षो के कर्मचारियों को थाने ले जाया गया।

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दरअसल, गुरुवार को नगर निगम के लिए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले इकोग्रीन कर्मचारी टिपर वाहन के जरिए काम में जुटे हुए थे। इसी दौरान मलगडा चौराहे के पास श्रीराम फाइनेंस कंपनी के दो एजेंट पहुंचे और उन्होंने फाइनेंस वाहन को कब्जे में लेने की कोशिश, इस दौरान अपनी पहचान बताए बिना ही ये सब करने पर जब ड्राइवर ने इसका विरोध किया तो दोनों ही रिकवरी एजेंट ने ड्राइवर के साथ बेतहाशा मारपीट कर मोबाइल छीन लिया और टिपर वाहन को ले गए।

इस दौरान घायल ड्राइवर ने अपने साथी सफाई कर्मचारियों को कॉल करके बुला लिया। एक दर्जन से ज्यादा नगर निगम की डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाली गाड़ियों ने पीछा कर दोनों रिकवरी एजेंट को पकड़ लिया। और बीचसड़क पर जमकर लात घूंसों से दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। हाई वोल्टेज हंगामें की जब सूचना हजीरा थाना पुलिस को लगी तो वह मौके पर पहुंचे और दोनों ही पक्ष के लोगों को हिरासत में लेकर थाने ले आये। जहां दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायती आवेदन दिया है।

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वही इस मामले पर महापौर प्रतिनिधि कृष्ण राव दीक्षित ने नगर निगम के आयुक्त और लेखा विभाग के अधिकारियों पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जब नगर निगम ने इको ग्रीन कंपनी के संसाधनों को जब्त कर लिया है और उसका उपयोग किया जा रहा है ऐसी स्थिति में उनकी फाइनेंस किस्तों को भी जमा किया जाना चाहिए। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा सफाई कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है।

इस विवाद को लेकर नगर निगम के उपायुक्त अमर सत्य गुप्ता का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि फाइनेंस कंपनी को इस तरह से रिकवरी के दौरान मारपीट और वाहन जब्त करने का अधिकार नहीं है खासकर जब मामला न्यायालय में विचाराधीन हो, ऐसी स्थिति में नगर निगम की ओर से पत्र लिखकर फाइनेंस कंपनी के एजेंटो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

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गौरतलब है कि साल 2017 से नगर निगम के लिए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम करने वाली इकोग्रीन कंपनी ने श्रीराम फाइनेंस कंपनी से सीएनजी टिपर वाहन साल 2018 में फाइनेंस कराए थे। टेंडर की शर्तों के अनुसार काम न करने पर इको ग्रीन कंपनी बीच में ही काम छोड़कर चली गई थी, नगर निगम ने इकोग्रीन कंपनी की सभी गाड़ियों के साथ ही सामान को कब्जे में ले लिया था। तभी से इको ग्रीन कंपनी के सफाई कर्मचारी नगर निगम के लिए काम करते हैं।

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